Thar पोस्ट, बीकानेर। मुक्ति संस्था बीकानेर के तत्वावधान में वरिष्ठ साहित्यकार डॉ वत्सला पांडे की दो पुस्तकों का लोकार्पण शनिवार को पवनपुरी में हुआ । लोकार्पण समारोह के मुख्य अतिथि कवि-आलोचक डॉ नीरज दइया थें, लोकार्पण समारोह की अध्यक्षता कवि – कथाकार राजेन्द्र जोशी ने की तथा कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि शिविरा पत्रिका के सम्पादक- कवि मुकेश व्यास थें ।
कार्यक्रम समन्वयक संजय जनागल ने बताया कि अतिथियों ने डॉ वत्सला पांडे की दो हिन्दी बोधि प्रकाशन जयपुर से प्रकाशित कहानी संग्रह एक घने जंगल से गुजरते हुए एवं कविता संग्रह बीज होते हुए का लोकार्पण किया गया । समारोह के मुख्य अतिथि प्रख्यात कवि-आलोचक डॉ नीरज दइया ने कहा कि समकालीन कविता कहानी के प्रचलित मुहावरे से अलग वत्सला पांडे अपने आत्मचिंतन और आत्मअवलोकन को शब्दबद्ध करते हुए नई जमीन की तलाशती हैं। वे कहानी में कविता और कविता में जिस कहानी को अभिव्यक्त करती हैं वह गहरे चिंतन और आलोचना से नए आयुधों की मांग करते हैं।
लोकार्पण समारोह की अध्यक्षता करते हुए कवि कथाकार राजेन्द्र जोशी ने कहा कि डॉ वत्सला पांडे गत दो दशकों से भी अधिक समय से लेखन कार्य में संलग्न है । जोशी ने कहा कि डॉ वत्सला की कविताएं लोक से निकलती है, वे विषय की गहराई तक गोता लगाती है, उन्होंने कहा कि वें बीज को प्रतीक बनाकर अनेक पौराणिक संदर्भों का प्रयोग करती हुई बात को विस्तार देती है । जोशी ने कहा कि डॉ वत्सला को भारतीय दर्शन, धर्मग्रंथों, इतिहास और पुराणों की जानकारी है ऐसे में कवियत्री लम्बी कविता में समसामयिक दृष्टि से वे पौराणिक कथाओं को टटोलती प्रतीत होती हैं।
जोशी ने कहा कि डॉ वत्सला की कविताएं और कहानियां भाषा और विषय के अनुसार शानदार है, उनके भावों और विचारों के भार को वहन करने में पूर्ण करने में पूर्ण समर्थ है, जोशी ने कहा कि डॉ वत्सला की कविताएं और कहानियां इस समय की परिपक्व रचनाएँ हैं ।
विशिष्ट अतिथि मुकेश व्यास ने कहा कि डॉ वत्सला पांडे के सद्द प्रकाशित संग्रहों में प्रेम और मानवीय संबंधों के सूक्ष्म अहसासों का सहज संवेदनशील ईमानदार प्रयास है । उन्होंने कहा कि इन रचनाओं में सूहमानुभूति है, जगत के नित्यप्रति व्यवहार के मिथ्या आचरण, आडम्बर पर चोट है, मानवीय मूल्यों की स्थापना के साथ स्त्री पुरुष सम्बन्धों की पड़ताल है । व्यास ने कहा कि डॉ वत्सला पांडे की रचनाओं में बाहर और भीतर के ऊहापोह उलझनों के बीच अपने होने को सिद्ध करने की छटपटाहट को अभिव्यक्त करने का प्रयास करता है ।
इस अवसर पर डॉ वत्सला पांडे ने अपनी रचना प्रक्रिया साझा करने के उपरांत लोकार्पित कहानी संग्रह में से “वह कौन थी” कहानी एवं लम्बी कविता बीज होते हुए के अनेक अंशों का शानदार तरीके से वाचन करते हुए भाव विभोर कर देने वाली प्रस्तुति दी ।
लोकार्पण समारोह में कवि मुकेश व्यास ने कहानी संग्रह एक घने जंगल से गुजरते हुए आलोचक डॉ नमामी शंकर आचार्य ने लम्बी कविता बीज होते हुए पर प्रभावी पत्र वाचन किया ।
प्रारंभ में साहित्यकार राजाराम स्वर्णकार ने स्वागत भाषण करते हुए डॉ वत्सला पांडे के व्यक्तित्व और कृतित्व पर विस्तार से प्रकाश डाला ।
लोकार्पण समारोह में डॉ अजय जोशी, अशफ़ाक कादरी,चन्द्रशेखर जोशी,डॉ ब्रजरतन जोशी,
संजय शर्मा, नदीम अहमद नदीम , शंशाक शेखर जोशी, संजय जनागल, नवनीत पाण्डे, संजय पुरोहित, , डॉ नमामी शंकर आचार्य, विजय कुमार पाण्डे सहित अनेक महानुभाव उपस्थित रहे हैं । अन्त में कार्यक्रम के समन्वयक साहित्यकार संजय जनागल ने आभार प्रकट किया ।