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TP न्यूज। राजस्थानी के अमर साधक सांस्कृतिक गुणो के ज्योतिपुंज डॉ. लुईजि पीओ टैस्सीटोरी कि 133 वीं जंयति को हमेशा कि तरह साहित्यक एवं रचनात्मक श्रद्धा व्यक्त करते हुए आयोजन के क्रम में इस वर्ष आयोजित तीन दिवसीय ‘‘ओळू समारोह’’ के दूसरे दिन उनके समाधि स्थल पर प्रज्ञालय संस्थान एवं राजस्थानी युवा लेखक संघ द्वारा पुष्पाजंलि अर्पित कर उन्हें नमन किया गया। डॉ. टैस्सीटोरी को स्मरण करते हुए राजस्थानी के कवि-कथाकार एवं राजस्थानी मान्यता आंदोलन के प्रवर्तक कमल रंगा ने कहा कि आपने 1911 में बाल्मिकी की रामायण तथा तुलसीकृत रामचरित्र का तुलानात्मक अध्ययन किया। इसी के साथ आपने पश्चिम राजस्थानी व्याकरण तैयार कि जो भारतीय भाषाओ कि पहली ऐतिहासिक व्याकरण थी। इसके साथ आपने अनेकों राजस्थानी ग्रंथों को प्रकाश में लाते हुए। उनका कुशल सम्पादन किया। जिसमें प्रमुख कृति जिसे 5वां वेद कहते है। ‘‘बेली कृष्ण रूखमणी’’ है। आप ने राजस्थानी मान्यता का बीजारोपण भी मरूथरा बीकाणे में 1914 में कर दिया था। इस अवसर पर अपनी शब्दाजंलि देते हुए। वरिष्ठ शायर जाकिर अदीब ने उन्हें बहुभाषी एवं महान पुरात्तवविद् बताया। इसी क्रम में कार्यक्रम सहप्रभारी हरिनारायण आचार्य ने कहा कि वह भारतीय आत्मा थे उनकी जन्म स्थली अवश्य इटली थी परन्तु उनकी कर्म स्थली बीकानेर, भारत रही।सी क्रम में उन्हें शब्दाजंलि देते हुए। उपस्थित अशोक शर्मा भवानी सिंह, विक्रम सिंह, जगदीश, दिनेश, इंजि. सुमित रंगा, अक्षय कुमार, आशिष, राहुल, सहित सभी ने उन्हें नमन करते हुए। कहा कि डॉ. टैस्सीटोरी को सच्ची शब्दाजंलि तभी होगी राजस्थानी को मान्यता मिले एवं प्रदेश कि दूसरी राजभाषा एवं शिक्षा का माध्यम बने।समारोह की सहयोगी संस्था शबनम साहित्य परिषद् द्वारा भी वरिष्ठ साहित्यककार अब्दुल समद राही कि अध्यक्षता में डॉ. टैस्सीटोरी को स्मरण एवं नमन करते हुए उनके तेलचित्र पुष्पाजंलि अर्पित करते हुए उपस्थित सभी लोगो ने उन्हें महान कर्मयोगी एवं महामानव बताया। अपने अध्यक्षय उदबोद्धन में अब्दुल समद राही ने कहा कि डॉ.टैस्सीटोरी अपनी मातृभाषा इटेलियन से ज्यादा प्यार राजस्थानी से करते थे ओर उनका कथन था कि राजस्थानी एक बड़े परिवार कि मीठी और समृद्ध भाषा है। अंत में सभी ने राजस्थानी के समर्थन में संकल्प लिया ओर टैस्सीटोरी के कार्यो को जन-जन तक पॅहुचाने का भी संकल्प लिया।तीन दिवसीय ‘‘ओळू समारोह’’ के अंतिम दिवस आज 14 दिसम्बर सोमवार को राष्ट्रीय स्तरीय ई-तकनीक के माध्यम से आंमत्रित कवि शायरो कि बहुभाषा काव्य गोष्ठी का आयोजन होगा।
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