Thar पोस्ट न्यूज। क्या राजस्थान में रेत के धोरों के नीचे समुंदर है ? हाल ही में राजस्थान के मोहनगढ़ में एक किसान के खेत से निकली जलधारा में चौंकाने वाली बात सामने आई है। भूवैज्ञानिकों की टीम इस पानी को बीस लाख साल पुराना मान रही है, उसकी वजह ये है कि इस पानी के साथ जो मिट्टी आई, वो टर्सरी काल की चट्टानों की मिट्टी है। मौके पर जांच करने वाले भू वैज्ञानिक नारायण इन्किया का कहना है कि हो सकता है ये चट्टानें और पानी समंदर से मरूस्थल में तब्दिल होने के दौरान का हो. एक धारणा ये भी है कि ये इलाका 20 से 50 लाख साल पहले समंदर था. यह भूर्भगीय परिवर्तन से रेगिस्तान में बदला. हालांकि पानी के सैंपल की विस्तृत जांच होगी तब पूरी तरह तस्वीर साफ होगी। हालांकि जानकारों का कहना है कि राजस्थान के भूभाग में टेथिस महासागर था।
शुरू में यह माना जा रहा था कि ये पानी विलुप्त हो चुकी सरस्वती नदी का हो सकता है या फिर इस इलाके में बह रही इंदिरा गांधी नहर के सीपेज का भी हो सकता है. लेकिन पानी के साथ गैस आने से जांच और परीक्षण का दायरा बढ़ गया. पानी निकलना बंद हो गया. लेकिन पांच सौ मीटर के इलाके में निषेधाज्ञा लगा दी इस डर से कि फिर पानी निकला तो जल तांडव होगा।
यह घटना शनिवार को चक 27 बीडी के तीन जोरा माइनर के पास विक्रम सिंह के खेत में एक ट्यूबवेल की खुदाई के दौरान हुई. उन्होंने बताया कि करीब 850 फुट खुदाई के बाद अचानक तेज प्रेशर के साथ पानी निकलने लगा और पानी की धारा जमीन से 4 फुट ऊपर तक उठने लगी. उन्होंने बताया कि पानी के प्रेशर के कारण मौके पर एक बड़ा गड्ढा बन गया।