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IMG 20230514 WA0162 मां है तो ज़िन्दगी है,खुशी है बहार Bikaner Local News Portal साहित्य
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Thar पोस्ट, न्यूज। पर्यटन लेखक संघ-महफिले अदब की सप्ताहिक काव्य गोष्ठी के अंतर्गत रविवार को होटल मरुधर हेरिटेज में काव्य गोष्ठी आयोजित की गई जिसमें हिंदी और उर्दू के रचनाकारों ने उम्दा कलाम सुनाकर वाह वाही लूटी।अध्यक्षता करते हुए डा जगदीश दान बारहठ ने नर्सिंग दिवस के अवसर नर्सिंग स्टाफ के त्याग,बलिदान और सेवा भाव पर रचना सुनाई-
धवल वस्त्र धारण किये,ले संकल्प सेवा भावना का थी लग्न बनने की नर्स,सफल सपना हुआ ऐसी भावना का मुख्य अतिथि वरिष्ठ शाइर ज़ाकिर अदीब ने मातृ दिवस पर ग़ज़ल सुना कर मां की महिमा का वर्णन किया- छिन जाए बला से ये मेरी दौलतो-सरवतलेकिन मेरे हिस्से में ये तेरा प्यार रहे माँआयोजक डॉ ज़िया उल हसन क़ादरी ने झूट पर व्यंग्य करती ग़ज़ल पेश की-
गुलसिताँ में बहारें आएंगी
बागबाँ किस क़दर ये बोला झूट।असद अली असद ने “मां है तो ज़िन्दगी है,खुशी है,बहार है”, इम्दादुल्लाह बासित ने “इधर आ मेहरबां हम दास्ताने गम सुनाते हैं”, क़ासिम बीकानेरी ने “ज़िंदा रखना है तुम्हें नामे-वफ़ा मेरे बाद”,प्रो नरसिंह बिनानी ने “माता होती सभी का अभिमान”, धर्मेंद्र राठौड़ ने “दो दिन का तू मेहमान प्यारे”, रहमान बादशाह तन्हा ने “तेरी गली में कौन ये आता है बार बार” और राजकुमार ग्रोवर ने “अगर वीर वो अंग्रेजों से लड़े ना होते” सुना कर कार्यक्रम को ऊँचाई बख्शी।


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