Thar पोस्ट, बीकानेर। कमल रंगा की 11 राजस्थानी पुस्तकों का लोकार्पण-समारोह 14 को है साहित्यकार कमल रंगा की 5 विधाओं की 11 राजस्थानी पुस्तकों का लोकार्पण समारोह आगामी 14 दिसम्बर, 2021 वार मंगलवार को सांय 4ः30 बजे स्थानीय नागरी भण्डार स्थित नरेन्द्रसिंह ऑडिटोरियम में प्रज्ञालय संस्थान एवं सुषमा प्रकाशन गु्रप बीकानेर की ओर से आयोजित किया जा रहा है। प्रज्ञालय के राजेश रंगा ने बताया कि राजस्थानी पुस्तक संस्कृति में किसी एक रचनाकार की एकसाथ 11 पुस्तकों का लोकार्पण होना एक महत्वपूर्ण साहित्यक आयोजन है। इस आयोजन के अतिथि वरिष्ठ नाटककार-साहित्यकार एवं राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय नई दिल्ली के उपाध्यक्ष डॉ अर्जुनदेव चारण, महाराज गंगासिंह विश्वविद्यालय, बीकानेर के कुलपति प्रो. विनोद कुमार सिंह एवं राजस्थानी भाषा परामर्श मण्डल नई दिल्ली के संयोजक साहित्यकार मधु आचार्य ‘आशावादी’ होंगे। कार्यक्रम के प्रभारी कासिम बीकानेरी एवं हरिनारायण आचार्य ने बताया कि कमल रंगा की 6 गद्य विधा की पुस्तकों पर पत्रवाचन सीकर के साहित्यकार-सम्पादक डॉ. महेन्द्र मील का पत्रवाचन होगा तो वहीं रंगा की पद्य विधा की 5 पुस्तकों पर बीकानेर के कवि-सम्पादक संजय आचार्य‘वरूण’ अपना पत्रवाचन प्रस्तुत करेंगे।
टैस्सीटोरी सांस्कृतिक पुरोधा एवं भारतीय आत्मा थे : कमल रंगा
‘राजस्थानी भाषा के इटली के विद्वान एवं भाषाविद स्वर्गीय एल.पी.टैस्सीटोरी राजस्थानी भाषा के लिए संघर्ष करने वाले महान सपूत थे | आप एक सांस्कृतिक पुरोधा एवं महान भारतीय आत्मा थे, आप एक ऐसे बहुभाषाविद् थे जिन्होंने अपना पूरा जीवन हमारी मायड़ भाषा राजस्थानी को मान-सम्मान दिलवाने के लिए समर्पित कर दिया था | प्रज्ञालय संस्थान और राजस्थानी युवा लेखक संघ द्वारा पिछले चार दशकों से भी अधिक समय से उनकी जयंती और पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि आयोजित करके उनके द्वारा किए गए कार्यों को जन जन तक पहुंचाने का पुनीत कार्य किया जा रहा है |’ ये विचार वरिष्ठ कवि कथाकार एवं राजस्थानी भाषा मान्यता आंदोलन के प्रवर्तक कमल रंगा ने व्यक्त किये। राजस्थानी युवा लेखक संघ और प्रज्ञालय संस्थान की तरफ से स्वर्गीय एल.पी.टैस्सीटोरी की 134वीं जयंती के अवसर पर आयोजित शब्दांजलि -श्रद्धांजलि कार्यक्रम का। इस श्रद्धांजलि कार्यक्रम में रंगा अध्यक्षीय उद्बोधन के रूप में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। मुख्य अतिथि राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के पूर्व सचिव नितिन गोयल ने कहा कि वे एक ऐसे गुदड़ी के लाल थे जिन्होने तीन महत्वपूर्ण किताबें लिख कर राजस्थानी साहित्य को समृद्ध किया अपने उनके द्वारा किए गए महत्वपूर्ण कार्यों को विस्तार से सामने रखा। आपने उनकी याद में कोई कक्ष या चेयर बनाकर उनकी याद को चिरस्थाई बनाने की बात कही। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि समाजसेवी एवं कवि नेमी चंद गहलोत ने कहा कि आपने अपना छोटा सा जीवन हमारी तरक्की के लिए समर्पित कर दिया आप ऊंच-नीच, जाति-धर्म का कोई भाव नहीं रखते थे और इंसान को इंसान समझते थे साथ ही गहलोत ने अपनी काव्य पंक्तियों से उन्हें स्मरण किया |.
कार्यक्रम का संचालन करते हुए वरिष्ठ शाइर कहानीकार क़ासिम बीकानेरी ने अपनी शाब्दिक श्रद्धांजलि व्यक्त करते हुए कहा कि स्वर्गीय एल.पी. टैस्सिटोरी जनमानस में राजस्थानी भाषा की अलख जगाने वाले महान साहित्यिक सेनानी थे, जिन्होंने साहित्य, शिक्षा, शोध एवं पुरातत्व के क्षेत्र में अति महत्वपूर्ण कार्य करके हमारी संस्कृति एवं विरासत को पूरे विश्व में मशहूर कर दिया |
संस्कृतिकर्मी डॉ. फ़ारुक़ चौहान ने उनके द्वारा किए गए कार्यों पर रोशनी डालते हुए कहा कि ये हमारी भाषा के लिए गौरव की बात है कि इटली से आकर एक विद्वान साहित्यकार ने हमारी भाषा के लिए महत्वपूर्ण काम किया।
वरिष्ठ कवियत्री मधुरिमा सिंह ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि उन्होंने राजस्थानी भाषा रिती रिवाज एवं संस्कृति का गहन विश्लेषण किया । राजस्थानी भाषा को मान्यता दिलवाना ही स्वर्गीय एल. पी. टैस्सीटोरी को सच्ची श्रद्धांजलि होगी। वरिष्ठ कवियत्री कृष्णा वर्मा ने टैस्सीटोरी जी के समाधि स्थल की उचित सार संभाल एवं रखरखाव की बात कही, साथ ही अपनी काव्य पंक्तियों से उन्हें नमन किया।
कवि गिरिराज पारीक ने अपनी उन्हें नमन करते हुए कहा कि उन्होंने राजस्थानी और जैन साहित्य के लिए महत्वपूर्ण कार्य किया | साहित्यानुरागी सय्यद बरकत अली ने उनके द्वारा किए गए कार्यों के लिए उन्हें श्रद्धा से नमन करते हुए उन्हें सच्चा एवं समर्पित भाषायी शोधार्थी एवं महान साहित्यकार कहा।कार्यक्रम में अशोक शर्मा, भवानी सिंह, कार्तिक मोदी, सुनील व्यास, सुमित रंगा, तोलाराम सारण, हरि नारायण आचार्य, सय्यद अनवर अली, सय्यद हसन अली, मोहम्मद जरीफ़ सहित अनेक प्रबुद्ध जन उपस्थित थे। अंत में आभार राजेश रंगा ने जताया।