Thar पोस्ट न्यूज। बीकानेर के राजा-महाराजाओं ने आमजन की सुविधाओं के लिए बहुत कुछ दिया। पीबीएम हॉस्पिटल से लेकर पब्लिक पार्क सहित अन्य निर्माण करवाये। लेकिन बाद में इनकी सार संभाल भी नहीं हो सकी। इसके साथ ही ऐतिहासिक धरोहर को भी क्षति पहुंचाने में कोई कोर कसर नहीं रखी गई।
विश्व के नायाब किलों में से एक बीकानेर के जूनागढ़ किले के अनेक प्रभागों में बारिश के पानी से क्षति पहुंच रही है। बारिश व नाले का पानी इसकी खाई में डाला जा रहा है। पोस्ट आफिस के नजदीक से लेकर महिला मंडल स्कूल के आगे तथा फर्नीचर बाज़ार के आगे से एक नाला, जूनागढ़ खाई की दीवार के सहारे बना हुआ है। बारिश होने पर इस नाले के तेज बहाव से जूनागढ़ फोर्ट की दीवार टूट जाती है या फिर तोड़ दी जाती है। वर्षों से यह सिलसिला चल रहा है। इसके चलते बारिश का पानी पहले खाई में पड़ा रहता है। इसके बाद यह जमीन में रिसकर किले के विभिन्न भागों में नुकसान पहुंचाता है। हालात यह है कि वर्तमान में खाई का एक बड़ा हिस्सा टूटा हुआ है। इस बारे में जिला प्रशासन से जूनागढ़ के प्रभारी कर्नल देवनाथ सिंह ने कई बार पत्र लिखकर नाले की समस्या के स्थायी समस्या के समाधान की भी मांग की। कर्नल ने इससे जुड़े पत्र फ़ाइल दिखाते हुए बताया कि स्थायी हल नही निकला है। केवल यह आश्वासन दिया गया है कि नाले को यहां से अन्य स्थान पर शिफ्ट कर दिया जाएगा।
करोड़ों खर्च फिर भी समस्या: सूरसागर के पास करोड़ों रुपये खर्च कर भूमिगत नाले का निर्माण करवाया गया था ताकि सूरसागर व खाई में पानी नहीं पहुंचे। लेकिन तेज़ बारिश में किले की दीवार को तोड़ दिया जाता है। सूरसागर के पास नालों व सीवरेज जाम होने से पानी आगे नही निकल पाता। बारिश के दौरान जूनागढ़ व नगर निगम के बीच आज भी मार्ग बंद करना पड़ता है।