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IMG 20230411 184540 आज रात जोधपुर में महिलाओं का राज ! कुंवारे लड़के छड़ी से मार खाएंगे: एक परंपरा Bikaner Local News Portal पर्यटन
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Thar पोस्ट, न्यूज। राजस्थान की संस्कृति के कई रंग है। एक अनूठा मेला जोधपुर में होता है। इस दिन ना केवल घरों में बल्कि सड़कों पर भी केवल महिलाओं का राज होता है। 16 दिन की पूजा करने के बाद सुहागिने अलग-अलग स्वांग रच कर शहर के भीतरी शहर में रात भर सड़कों पर निकलती हैं। पूरी रात महिलाओं का राज होता है। यह एक अजीब कार्निवाल सा होता है। इसे बेंतमार के नाम से भी जाना जाता है. ध्यान देने वाली बात है कि 11 अप्रैल को रात में सड़कों पर महिलाओं का राज होगा. इस दिन कुंवारे छड़ी से पिटने के लिए होड़ लगाएंगे।ऐसे शुरू हुई परंपरा : जोधपुर में पुराने समय में भाभी अपने देवर और अन्य कुंवारे युवकों को प्यार से छड़ी मारती थीं. साथ में कहती थीं कि ये कुंवारा है, इसकी जल्दी शादी हो जाए। यह एक परंपरा बन गई। इस पूरी रात शहर की सड़कों पर सिर्फ महिलाएं दिखती हैं और हर महिला के हाथ में एक छड़ी होती है. जैसे ही पुरुष सामने दिखता है तो उसपर छड़ी से पुरुषों को मार पड़ती हैइसमें 16 दिन तक गवर माता का पूजन होता है. वहीं 16वें दिन पूरी रात महिलाएं घर से बाहर रहती हैं और अलग-अलग समय में धींगा गवर की आरती करती हैं. इस मेले में हर महिला अलग-अलग स्वांग रच कर पूरी रात शहर में घूमती हैं. दुनिया में सिर्फ जोधपुर में ही धीगा गवर का आयोजन किया जाता है. जिसे देखने के लिए न सिर्फ राजस्थान बल्कि दुनियाभर के लोग जोधपुर पहुंचते हैं.12 घंटें निर्जला उपवास रहती हैं महिलाएं : इस धींगा गवर की अनूठी पूजा करने वाली महिलाएं दिन में 12 घंटे निर्जला उपवास करती हैं. दिन में एक समय खाना खाती हैं. इसी तरह 16 दिन तक अनुष्ठान व पूजन चलता है. धींगा गवर की पूजा का इतिहास-जोधपुर की स्थापना राव जोधा ने 1459 में की थी. मान्यता है कि धींगा गवर पूजन तभी से शुरू हुआ है. राज परिवार से इस पूजन की परंपरा शुरू हुई थी. 564 सालों से यह पूजा चली आ रही है. महिलाओं के अनुसार मान्यता है कि मां पार्वती के सती होने के बाद जब दूसरा जन्म लिया तो वह धींगा गवर के रूप में आई थीं. भगवान शिव ने मां पार्वती को इस पूजन का वरदान दिया था इसके बाद से धींगा गवर की पूजा होती है. 16 दिन तक व्रत रखने वाली महिलाएं एक समय भोजन करती हैं. इन 16 दिनों में माता की पूजा में मीठा का भोग लगाया जाता है, जो महिलाएं यह व्रत रखती हैं उनके हाथ में एक डोरा बंधा होता है. जिसमें कुमकुम से 16 टीके लगाए जाते हैं।


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