Thar पोस्ट न्यूज बीकानेर। श्री राम कथा समिति के तत्वाधान में 9 दिवसीय शिव पुराण कथा का प्रारंभ विश्वकर्मा गेट स्थित राम मंदिर से कलश यात्रा के साथ प्रारंभ हुई। कलश यात्रा राम मंदिर से शुरू होकर जस्सूसर गेट से होती हुई सीताराम भवन भाग 2 नं में पहुंची। कलश यात्रा में बाल संत छैल बिहारी महाराज, देवकिशन चांडक देवश्री, नारायण डागा, विष्णु चांडक, याज्ञवल्कय दम्माणी, गोवर्धन दम्माणी सहित कथा के यजनाम शामिल हुए। कथा के प्रारंभ में व्यासपीठ का पूजन ने किया। बाद में वृंदावन से पधारे प्रमुख पंडित विक्रम सिंह व पंडित अवध बिहारी ने विधि विधान से मंत्रोचारण के साथ यजमान रामगोपाल चांडक ने सपत्नीक परिवार के साथ पोथी पूजन क रवाया। सात जनवरी तक चलने वाली कथा के पहले दिन शिव पुराण का महात्मय बताते हुए महाराज भारत शरण ने व्यक्ति का पूरा जीवन यह जानने में लग जाता है कि उसका जन्म क्यों हुआ ? हकीकत यह है कि हमारा जन्म अपने पूर्व जन्म के प्रतिफल को पाने और भगवान का भजन करने के लिए हुआ है। यदि हमने पूर्व जन्म में अच्छे कर्म किए होंगे तो इस जन्म में प्रतिफल के रूप में हमें आनंद की प्राप्ति होगी।संपूर्ण सिद्धांत से संपन्न भक्ति को बढ़ाने वाला तथा शिवजी को संतुष्ट करने वाला अमृत के समान दिव्य शास्त्र है-शिव पुराण। इसका पूर्व काल में शिवजी ने ही प्रवचन किया था।
महाराजश्री ने कहा कि भगवान शिव जी पर एक लोटा जल चढ़ा देने मात्र से ही हमारी सभी इच्छाएं और बड़ों कामनाएं पूर्ण हो जाती है। इसके लिए आवश्यक है कि जब हम जल चढ़ाएं निष्कपट भाव से चढ़ाएं। यह पुराण कलियुग में मनुष्यों के हित का परम साधन है। इस मौके पर घनश्याम लखाणी,जगदीश कोठारी, शीला डागा, शशि कोठारी, प्रीति चांडक सहित बड़ी संख्या में श्रद्वालुगण मौजूद रहे। आयोजक नारायण डागा ने बताया कि कथा दोपहर 12 बजे से 6 बजे तक आयोजित होगी। जिसमें अनेक प्रसंगों का वाचन महाराजश्री द्वारा किया जाएगा।
गोपेश्वर महादेव मंदिर गंगाशहर ( बीकानेर ) में दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की ओर से सात दिवसीय श्री राम कथा का भव्य आयोजन किया गया। जिसके सप्तम ( अंतिम ) दिवस में सर्वश्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी सुश्री त्रिपदा भारती जी ने सुंदरकांड प्रसंग को बहुत रोचक ढंग से प्रस्तुत करने के साथ-साथ उसमें निहित आध्यात्मिक रहस्यों को भी उजागर किया। कथा का शुभारंभ श्री मानकचंद अग्रवाल, रामलाल अग्रवाल, अजीत ज्यान्नी द्वारा पूजन से किया गया। साध्वी जी ने कहा भक्त हनुमान जी की सीता जी तक पहुँचने की यात्रा वास्तव में भक्त की भक्ति को प्राप्त करने की यात्रा है। जिस प्रकार इस यात्रा में हनुमान जी के सामने विभिन्न प्रकार की परिस्थितियाँ आई। किन्तु वह हर परिस्थितियों का सामना करते हुए अपने लक्ष्य को प्राप्त करते है। ठीक ऐसी भावना हमारी भी होनी चाहिए। इसके अतिरिक्त साध्वी जी ने अपने विचारों में युवा वर्ग को नशे के दुष्प्रभावों के प्रति जागृत किया। उन्होंने कहा युवा हमारे देश की रीड की हड्डी है। जैसे हमारा शरीर इसके बिना खड़ा नहीं हो सकता, ठीक उसी प्रकार युवाओं का भी समाज के उत्थान में विशेष योगदान होता है। इनके बिना प्रगति संभव नहीं है। किन्तु अफसोस की बात हमारे युवा अपनी ऊर्जा अपनी शक्ति को भूल चुके हैं,और पतन की राहों पर अग्रसर हो रहे हैं। जिससे ना केवल स्वयं के जीवन को नष्ट कर रहे हैं अपितु समाज को भी विनाश की गर्त में ले जा रहे है। भारत युवा प्रधान देश है,अगर युवा स्वयं को जान ले तो हमारे समाज का उत्कर्ष संभव है। आज ज़रूरत है युवाओं को अध्यात्म ज्ञान से जुड़ने की। अध्यात्म ज्ञान हमारी जड़ है। इससे जुडे बिना हमारा जीवन खुशहाल नही हो सकता। किन्तु यह ब्रह्मज्ञान केवल मात्र पूर्ण गुरु ही हमें प्रदान कर सकते है। इसके अतिरिक्त कथा में सुमधुर भजनों का गायन भी किया गया। कथा का समापन गोविंद ग्रोवर, किशन जाजड़ा, हरिगोपाल उपाध्याय,G.L. तिवाड़ी,जगदीश गर्ग, सुरेन्द्र अग्रवाल द्वारा प्रभु की मंगल आरती से किया गया।
श्री राम कथा समिति के तत्वाधान में सीताराम भवन में चल रही 9 दिवसीय शिव पुराण कथा के दूसरे दिन वृन्दावन से आएं भारत शरण महाराज ने कहा कि जिसे भगवान का प्रेम प्राप्त हो वह भाग्यशाली है। भगवान के विषय में जानने के लिए जिज्ञासु हो, वह भाग्यवान है। हम लोग जिस कलयुग में जी रहे हैं इस युग में बड़े-बड़े महात्मा ओं ने गहरा चिंतन किया है। जो भक्ति को धारण करता है वह कलयुग के प्रभाव से बच जाता है।जीवन में तीन ताप परेशान करें तो भगवान के निकट पहुंच जाएं जिससे हमें तीनों ताप से छुटकारा मिलता है। महाराजश्री ने कहा कि तब तक कलयुग के पाप परेशान करेंगे। जब तक शिवपुराण हमारे जीवन में शामिल ना हो जाए यही शिवपुराण की महिमा है। शिव जैसा समान दृष्टा कौन होगा,महादेव दैत्य एवं देवों के लिए सदा कृपा वंत रहते हैं। उन्होंने कहा कि जिस दिन आप व्रत रखों,ये ध्यान रखना की किसी को अपशब्द न कहो,आड़ा-टेड़ा न बोला और उन्होंने कहा कि महिलाओं को पिता,पति और परमात्मा के बर्तन खुद धोना चाहिए न किसी काम वाली से धुलवाना चाहिए। महाराजश्री ने कहा कि शिव पुराण की कथा में तब जाओ जब आपका विश्वास प्रबल हो। अगर आपका विश्वास प्रबल न हो तो शिव पुराण की कथा में जाने का कोई लाभ नहीं है। जैसे किसान फसल लगाने से पहले जमीन में क्यारी बना कर पानी डाल कर जमीन को नर्म कर लेता है, ताकि वो बीज डाले और वो अंकुरित हो जाए, उसी तरह शिवमहापुराण की कथा कहती है कि अपने भीतर इतनी नम्रता ले आओ की तुम्हारे मुंख से एक बार श्री शिवाय नमस्तुभ्यं निकले और वो बीज अंकुरित हो जाए और तुमहरा कल्याण हो जाए। इस मौके पर समिति सदस्य नारायण डागा, सुशील करनाणी, मोहित चांडक, घनश्याम कल्याणी,जगदीश कोठारी,नारायण मिमाणी, लक्ष्मीनारायण बिहाणी, दिलीप कुमार,अभिषेक मंत्री,कामिनी, लक्ष्मी दम्माणी सहित अनेक जनों ने पूजा अर्चना में भागीदारी निभाई। संगीतमय कथा में उपस्थित श्रद्वालु शिव भजनों पर झूमें।