नई दिल्ली। कल गणतंत्र दिवस के मौके पर ट्रैक्टर परेड निकली गई। इस दौरान दिल्ली के कई इलाकों हिंसा हुई थी। कल हुई हिंसा को लेकर अब तक कुल 22 केस दर्ज किए जा चुके हैं। एफआईआर में कई किसान नेताओं का जिक्र है। दिल्ली पुलिस इस मामले में साज़िश को लेकर भी एफआईआर दर्ज करेगी। इस हिंसा को लेकर जो लोग है उनकी पहचान की जा रही है।
खबरों की माने तो इस हिंसा की वजह से 86 पुलिसकर्मी और कई किसान घायल हैं।
दिल्ली के एलएनजेपी अस्पताल में कुल 18 घायल किसानों और पुलिसकर्मियों का इलाज चल रहा है, जबकि कल शाम करीब 47 घायलों को आईएसबीटी ट्रॉमा सेंटर में शिफ्ट किया गया था
– बीजेपी प्रवक्ता सैय्यद शाहनवाज़ हुसैन बोले- जो शंका थी वो सही साबित हुई, किसान संगठन के नेताओं ने सिर्फ भड़काने का काम किया
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता व नेता सैय्यद शाहनवाज़ हुसैन ने दिल्ली हिंसा को लेकर किसान नेताओं को दोषी ठहराया है। उन्होंने कहा जो शंका थी वो सही साबित हुई। किसान संगठन बड़ी-बड़ी बातें कर रहे थे कि अनुशासन रहेगा कि हम जश्न में शामिल हो रहे हैं। यह जश्न था या गणतंत्र दिवस के दिन भारत पर हमला था? इन्होंने लाल किले को अपवित्र किया है। इस सबके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
इसके अलावा उन्होंने कहा, उकसाने का काम तो किसान संगठन के नेताओं ने किया। किसान संगठन का हर नेता सिर्फ भड़काने में लगा हुआ था। अब जब ये घटना घट गई तब वे तरह-तरह का ज्ञान दे रहे हैं।
– लाल किले पर झंडा फहराने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर,न्यायिक जांच की मांग
कल मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी में किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा का मामला आज सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है। दिल्ली में हुए उपद्रव के खिलाफ दायर याचिका में लाल किले में दूसरा ध्वज लगाने की मांग की गई है। इसके साथ ही हिंसा पर संज्ञान लेना का भी अनुरोध किया गया है।
वकील विशाल तिवारी द्वारा दायर याचिका में SC के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में आयोग के गठन की मांग की गई है।वहीं इससे पहले एक एक कानून के छात्र ने भी भारत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे को पत्र लिखकर लाल किले पर किसी दूसरे समुदाय का झंडा फहराने वाले असामाजिक तत्वों के खिलाफ स्वतः संज्ञान लेने मांग की थी।
आशीष राय द्वारा लिखे गए पत्र में कहा गया था कि जिस प्रकार से लाल किले में भारत के राष्ट्रीय ध्वज की जगह किसी अन्य समुदाय के झंडे के लहराने से देश के सम्मान और गरिमा को चोट पहुंची। यह एक शर्मनाक घटना है। इस घटना से पूरा देश भी आहत है क्योंकि इस घटना से देश के संविधान के साथ साथ राष्ट्रीय ध्वज का भी अपमान हुआ है। इसके अलावा किसानों से बातचीत के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित समिति की आज होने वाली बैठक भी रद्द कर दी गई है। नए कृषि कानून पर किसानों से बातचीत के लिए सुप्रीम कोर्ट ने चार सदस्यों की एक समिति गठित की थी।