Thar पोस्ट न्यूज। क्या महिलाएं अब सुरक्षा के लिहाज से बनाए कानून का गलत इस्तेमाल करने लगी है ? कर्नाटक हाई कोर्ट ने हाल ही में एक अजीबोगरीब केस की सुनवाई की, जिसके बारे में जानकर जज साहब भी भड़क गए। दरअसल, एक महिला ने 2011 से लेकर 2022 के बीच 10 अलग-अलग पुरुषों के खिलाफ मामला दर्ज कराए हैं, जिसमें रेप के पांच केस शामलि हैं। मामले की सुनवाई करते हुए जज साहब भड़क गए और उन्होंने महिला पर सवाल उठाते हुए पुलिस महानिदेशक और पुलिस महानिरीक्षक को निर्देश दिया है कि वे प्रदेश भर के सभी पुलिस स्टेशनों को इस महिला वादी के बारे में अलर्ट करें।
न्यायमूर्ति एम. नागप्रसन्ना ने डीजीपी को निर्देश दिया कि वह कर्नाटक के सभी पुलिस स्टेशनों को महिला की पहचान, उसके पिछले रिकॉर्ड आदि के बारे में जानकारी दें, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वह कानून की प्रक्रिया का और अधिक दुरुपयोग नहीं कर सके। आदेश में कहा गया है कि महिला शिकायतकर्ता का विवरण पुलिस स्टेशनों के डेटाबेस पर उपलब्ध होना चाहिए, ताकि जब शिकायतकर्ता किसी अन्य पुरुष के खिलाफ अपराध दर्ज करना चाहे, तो वे सतर्क हो सकें। जिस पुलिस स्टेशन के समक्ष यह शिकायतकर्ता अपराध दर्ज करना चाहेगी, उसे बिना किसी उचित प्रारंभिक जांच के अपराध दर्ज नहीं करना चाहिए। यह कई पुरुषों के खिलाफ अपराधों के बेतहाशा पंजीकरण को रोकने के लिए है। 10 मामले देखे गए हैं, यह सिर्फ 11वें केस को रोकने के लिए है।”
कोर्ट ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 498ए के तहत महिला की शिकायत पर दर्ज मामलों में से एक को रद्द करते हुए यह निर्देश पारित किया। पिछली सुनवाई के दौरान मामले के कागजात देखने के दौरान न्यायालय को पता चला कि महिला एक “सीरियल वादी” लग रही थी और उसने 2011 से 2022 के बीच 10 अलग-अलग पुरुषों के खिलाफ 10 आपराधिक मामले दर्ज किए थे। पहला मामला 2011 में दर्ज किया गया था। चार साल बाद महिला ने हनुमेषा नाम के शख्स के खिलाफ आपराधिक धमकी के लिए आपराधिक शिकायत दर्ज कराई। इस साल उसने तीसरे शख्स संतोष के खिलाफ शादी का वादा कर रेप करने का आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज कराई। यह सिलसिला जारी रहा और उसने 2011 से 2022 के बीच 10 पुरुषों के खिलाफ रेप के कुल 5 केस, क्रूरता के लिए 2 और छेड़छाड़ और आपराधिक धमकी के लिए 3 मामले दर्ज कराए।