Thar पोस्ट, बीकानेर (जितेंद्र व्यास)। कुछ बरस पहले तक बीकानेर में लोग आपसी चर्चा के दौरान उत्तर प्रदेश के शहरों की बात किया करते थे। और ईश्वर को धन्यवाद देते थे कि बीकानेर में क्राइम कम है। हम किस्मत वाले है। महानगरों से बीकानेर आने वाले लोग भी अपना स्थायी मकान इसलिए बना लेते थे कि यहा लोग सज्जन है और शांति है एक बेहतर संस्कृति है। जयनारायण व्यास कॉलोनी, सादुलगंज सहित अनेक कॉलोनियां है जहाँ लोग बाहर से आकर बसे। लेकिन केवल 5 वर्षों में हालात तेज़ी से बदले है। बीकानेर में अपराध का ग्राफ उत्तर प्रदेश के अन्य शहरों से अधिक है। जबकि यह छोटे शहरों की गिनती में ही आता है। यहाँ बड़ी लूट, गोलीबारी, बलात्कार, मारपीट सहित अन्य वारदातें लगातार हो रही है। अपराधी बेख़ौफ़ है आम आदमी हैरान, परेशान है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि युवाओं के पास पिस्तौल सहित अन्य हथियारों की आपूर्ति कहाँ से हो रही है ? वारदात होने से पहले पिस्तौल तुरंत निकल रही है। कहाँ से आ रहे है हथियार और कौन आपूर्ति करवा रहा है? कुछ लोगों का कहना है हम अपनी सुरक्षा के लिए लाइसेंसशुदा हथियार रखते है। लेकिन 20 से 25 वर्ष के बीच युवाओं के पास हथियार कहाँ से आ रहे है ? यह एक बहुत बड़ी जांच का विषय है। हथियारों के साथ ही बीकानेर का युवा नशे की आगोश में जा रहा है। शाम ढलते ही शराब के साथ गांजा आदि लेने वाले युवाओं की तादाद बढ़ रही है। दो तीन साल पहले तक बीकानेर के बाहरी इलाकों में ही नशा होता था। अवैध हुक्काबार भी कई बार पकड़े गए। आश्चर्य की बात यह है कि महिलाएं भी अपराध की दुनिया मे शामिल है। शहर के भीतर जगह जगह नशा हो रहा है वो भी भीड़भाड़ वाले इलाकों में। शराब और भांग की बात तो पुरानी हो चुकी। कहाँ से आ रहा है नशा ? बीकानेर के बौद्धिक और साहसी लोगों ने चुप्पी साध ली है। पहले सामान्य अपराध होने पर भी सभी धर्मों के लोग विरोध करते थे। प्रशासन को ज्ञापन देते थे।प्रशासनिक अधिकारी भी संवेदनशील थे लेकिन अब ऐसा नही होता। यदि ऐसा ही चलता रहा तो वह दिन दूर नही जब बीकानेर से लोग पलायन करेंगे। जानकारी में रहे कि केवल डेढ़ दशक में ही अनेक पढ़े लिखे परिवारों के बच्चे बीकानेर छोड़ चुके है।