Thar पोस्ट, जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कांग्रेस छोड़कर जाने वाले नेताओं पर तंज कसा है। उन्होंने कहा कि कोई छोड़कर जाए, कोई फर्क नहीं पड़ता। राहुल गांधी ने एक बात कही थी जिन्हें जाना है वे जाएं, जिससे बाकी तो कम से कम काम करें। आप पार्टी में रहकर भी पार्टी की बुराई करोगे, आपके मन मस्तिष्क में पार्टी की बात नहीं रहेगी तो उससे ज्यादा नुकसान है। इससे तो अच्छा है आप बाहर जाइए। कोई जाए या आए उसका स्वागत है। गहलोत प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में मीडिया से बातचीत कर रहे थे।
गहलोत ने नाम लिए बिना कल कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए आरपीएन सिंह और पद्म अवार्ड मिलने के बाद अपने सोशल मीडिया बायो से कांग्रेस हटाने वाले गुलाम नबी आजाद पर निशाना साधा है। गहलोत ने कहा- कांग्रेस का 135 साल का इतिहास है। कांग्रेस समुद्र की तरह है। इसमें पहले भी कई लोग पार्टी छोड़कर गए, उन्हें वापस आना पड़ा, नाम तो क्या लूं उन नेताओं के।
गहलोत ने कहा कि इस पार्टी का घर-घर में प्रभाव है। आज केवल कांग्रेस ही ऐसी पार्टी है जो पूरे देश में है। बाकी पार्टियां सत्ता में है, लेकिन पूरे देश में नहीं हैं। बीजेपी को नोर्थ ईस्ट में कोई नहीं पूछता। दक्षिण के राज्यों में कोई नहीं पूछता। कांग्रेस भले सत्ता में नहीं हो, लेकिन हर घर में घुसी हुई है। इसलिए किसी के आने जाने से फर्क नहीं पड़ता।
किसानों की जमीन कुर्क करने में राज्य सरकार का दोष नहीं
गहलोत ने किसानों की जमीन कुर्क करने और राजभवन में बिल अटके होने को लेकर बीजेपी पर निशाना साधा। गहलोत ने कहा- किसी किसान की जमीन कुर्क क्यों हो, कई जिलों में किसानों की जमीन की कुर्की आई है, राष्ट्रीयकृत बैंक और ग्रामीण बैंक केंद्र के अधीन आते हैं उनके कर्ज नहीं चुका पाने वाले किसानों की जमीन की कुर्की आई है, कानून में प्रावधान है तो कुर्की आई है। इसमें राज्य सरकार का कोई दोष नहीं है। अब विपक्ष से पूछो, कानून आपकी सरकार का, बैंक केंद्र सरकार की, वे कुर्की निकाल रहे हैं और आरोप राज्य सरकार पर लगा रहे हैं।
गहलोत ने कहा कि हमने कर्ज माफ किए उस पर ही भाजपा वाले गलतफहमी पैदा कर रहे हैं। हमने तो बीजेपी सरकार के समय के कर्ज माफ किए, बीजेपी राज में 50 हजार तक के माफ किए गए, हमने लाख-डेढ लाख के कर्ज माफ किए।
केंद्र की बैंकों के कर्ज हम कैसे माफ कर सकते हैं?
गहलोत ने कहा- हमने कहा था कि कर्जे माफ होंगे, वे हमारी बैंकों के कर्ज माफ होंगे। केंद्र सरकार की बैंकों के कर्ज हम कैसे माफ कर सकते हैं। केंद्रीय बैंकों के कर्ज माफ करवाने के लिए हम लगातार प्रधानमंत्री और केंद्रीय वित्त मंत्री से रिक्वेस्ट कर रहे हैं। जब उद्योगपतियों का एनपीए के नाम पर कर्ज माफ हो सकता है तो किसान का एनपीए के नाम पर माफ क्यों नहीं हो सकता। किसान के तो 2 से तीन लाख के कर्ज हैं, हम बार बार कह रहे हैं कि किसान का राष्ट्रीयकृत बैंकों के कर्ज सैटलमेंट कर दें, उसमें राज्य सरकार भी हिस्सा देने को तैयार है। यूपीए ने 72 हजार करोड़ के माफ किए थे। बीजेपी के स्थानीय नेता अब एक्सपोज हो रहे हैं, इसलिए ये बार-बार चुनाव हार रहे हैं।