Thar पोस्ट, न्यूज बीकानेर। भारत मे अक्टूबर में चीते आएंगे। इसे लाने की मुहिम बीकानेर गजनेर से शुरू हुई थी। चीता दुनिया का सबसे तेज भागने वाला जानवर. अधिकतम गति 120 किलोमीटर प्रतिघंटा. 1948 में खुले जंगल में तीन चीतों का शिकार किया गया. जगह थी छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले का साल जंगल. 1952 में चीतों को विलुप्त घोषित कर दिया गया. घोषणा स्वतंत्र भारत के पहले वाइल्डलाइफ बोर्ड मीटिंग के बाद की गई थी. 70 साल तक देश में चीते नहीं थे. फिर अचानक चीतों को भारत लाने की क्या जरुरत पड़ गई. सब ठीक तो चल रहा था. नहीं सब ठीक नहीं था. इसके बाद देश में जंगली जीवों के लिए संरक्षित इलाके बनाए गए. लेकिन लोग चीतों को संभवतः भूल गए. असल में इसकी आवाज उठी साल 2009 में. जब वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया (WTI) ने राजस्थान के बीकानेर गजनेर में दो दिन का इंटरनेशनल वर्कशॉप रखा. सितंबर में हुए इस दो दिवसीय आयोजन में यह मांग की गई कि भारत में चीतों को वापस लाया जाए. दुनिया भर के एक्सपर्ट इस कार्यक्रम में थे. केंद्र सरकार के मंत्री और संबंधित विभाग के अधिकारी भी थे. यह तय हुआ कि चार राज्य हैं, जहां पर चीतों को रखा जा सकता है. ये हैं- उत्तर प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश. एक्सपर्ट्स को लगता था कि इन पांचों राज्यों में से किसी भी जगह पर चीतों को रखा जा सकता है. उनके हिसाब से यहां वातावरण ठीक है. लेकिन फिर तय किया गया कि नहीं हम कुछ सर्वे और बारीक जांच करते है. ईरान से चीतों को मंगाने का ख्याल होल्ड पर रखा गया. वजह ये थी कि ईरान के चीतों का जेनेटिक्स अफ्रीकन चीतों से मिलता जुलता है. लेकिन फैसला गया अफ्रीकन चीतों को लाने के पक्ष में।पांच राज्यों के 10 जगहों को तय किया गया. ये सात अलग-अलग तरह के लैंडस्केप पर मौजूद हैं. छत्तीसगढ़ में गुरु घासीदास नेशनल पार्क. गुजरात में बन्नी ग्रासलैंड्स. मध्यप्रदेश में डुबरी वाइल्डलाइफ सेंचुरी, संजय नेशनल पार्क, बागडारा वाइल्डलाइफ सेंचुरी, नॉराडेही वाइल्डलाइफ सेंचुरी और कूनो नेशनल पार्क. राजस्थान में डेजर्ट नेशनल पार्क वाइल्डलाइफ सेंचुरी और शाहगढ़ ग्रासलैंड्स और उत्तर प्रदेश की कैमूर वाइल्डलाइफ सेंचुरी।
कूनो नेशनल पार्क में खाने की कमी नहीं
कूनो नेशनल पार्क (Kuno National Park) में कोई इंसानी बस्ती या गांव नहीं है. न ही खेती-बाड़ी. चीतों के लिए शिकार करने लायक बहुत कुछ है. जैसे- चीतल, सांभर, नीलगाय, जंगली सुअर, चिंकारा, चौसिंघा, ब्लैक बक, ग्रे लंगूर, लाल मुंह वाले बंदर, शाही, भालू, सियार, लकड़बग्घे, ग्रे भेड़िये, गोल्डेन सियार, बिल्लियां, मंगूज जैसे कई जीव. यानी चीता जमीन पर हो या पहाड़ी पर. घास में हो या फिर पेड़ पर, उसे खाने की कमी किसी भी हालत में नहीं होगी. नेशनल पार्क में सबसे ज्यादा चीतल मिलते हैं, जिनका शिकार करना चीतों को पसंद आएगा. नेशनल पार्क के अंदर चीतल की आबादी 38.38 से लेकर 51.58 प्रति वर्ग किलोमीटर है. यानी चीतों के लिए खाने की कोई कमी नहीं है। भारत मे आजादी से पहले ऐशयाई चीते थे। आजादी से पहले मध्यप्रदेश रीवा में हरिणों के शिकार के लिए चीते पाले जाते थे।