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100 1663 ऊंटनी के दूध की कॉफ़ी पीने की चाह खींच लाती है यहां ! Bikaner Local News Portal अंतरराष्ट्रीय, पर्यटन
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यहां ऊंटों का टोळा आता है प्रतिदिन
  • एक या दो ऊंट नहीं बल्कि सैंकड़ों ऊंट एक साथ, ऐसा दृश्य अपने आप में किसी रोमांच से कम नहीं है। यहां आती है ऊंटों की बारात प्रतिदिन। है न मजेदार बात। पश्चिमी राजस्थान के बीकानेर जिले में प्रतिदिन ऐसा होता है। ऊंटों के कुनबे के इस दृश्य को देखने के लिए पर्यटक लालायित रहते हैं और इस दृश्य को अपने कैमरे में कैद कर ले जाते हैं। अनेक सैलानी इसका वीडियो शूट भी करते हैं। आखिर धरती पर ऐसा कौनसा इलाका है जहां एक साथ इतने ऊंट आते हैं?
  • चलिए मैं आपको बताता हूं। दोस्तों ऊंट की उत्पति भले ही अमेरिका में हुई हो, लेकिन राजस्थान के बीकानेर की पहचान भी ऊंटों के कारण है। यहां के रेगिस्तान में बहुतायात में आज भी ऊंट पाए जाते हैं। प्राचीन समय में बीकानेर को ऊंटों वाला देश कहा जाता था। बीकानेर के ग्रामीण इलाके में ऊंट आज भी आजीविका का प्रमुख साधन माना जाता है। भारत के थार के सीमान्त क्षेत्रों में ऊंट सुरक्षा प्रहरी भी है। राजस्थान में मई और जून में तापमान 50 डिग्री तक पहुंच जाता है तब ये ऊंट एक सच्चे प्रहरी की तरह रेगिस्तान में देश की सुरक्षा करते हैं।
  • बीकानेर में है स्थित
  • भारत का एकमात्र राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र बीकानेर में स्थित है। बीकानेर के जिला मुख्यालय से 8 किलोमीटर दूर स्थित जोड़बीड़ इलाके में यह केन्द्र अब बीकानेर के आधुनिक पर्यटन स्थलों में से एक है। पिछले दो दशक में जो भी पर्यटक बीकानेर आया है उसने इस अनूठे केन्द्र को अवश्यक देखा है। भारत के कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा इसका संचालन किया जा रहा है। इस केन्द्र की स्थापना 1984 में हुई।
  • हर रोज होती है परेड
  • ऊंटों का समूह और उसमें से विचित्र आवाज यहां पहुंचने वाले लोगों को रोमांंचित करती है। यहां हर रोज एक साथ 200 से 250 ऊंट देखे जा सकते हैं। प्रतिदिन शाम 4 बजे यहां ऊंटों के टोळे पहुंचते हैं। यहां ऊंटों को देखने के लिए राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र प्रशासन की ओर से विशेष प्रबंध किए जाते हैं। यहां ऊंटनी का दूध भी निकाला जाता है। इस कुनबे में ऊंटों के छोटे बच्चों को भी देखा जा सकता है। केन्द्र में ऊंटों की चार प्रजातियां है। जिन पर शोध संबंधी कार्य चलते हैं।
  • ऊंटनी के दूध की कॉफी
  • राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र में पर्यटकों के लिए केमल मिल्क कॉफी पार्लर भी है। यहां ऊंटनी के दूध की कॉफी और आइसक्रीम आदि उपलब्ध रहते हैं। वर्तमान में यहां कैमल सफारी आदि की भी सुविधा मुहैया करवाई गई है। इसके अलावा यहां एक ऊंट संग्रहालय भी है जहां ऊंटों से जुड़ी सभी वस्तुओं को रखा गया है। इसमें ऊंट की हड्डियों से बने आभूषण तथा ऊंट की खाल से बनाए गए अनेक उत्पाद भी शामिल है। इस म्युजियम में अनेक कलात्मक वस्तुए भी हैं जिन्हें देखकर हर कोई दंग रह जाता है। ऊंटों के इस अनूठे केन्द्र परिसर में अब ऊंट की हड्डियों से निर्मित आभूषण भी बिक्री के लिए रखे गए हैं। ये आभूषण हाथी दांत के आभूषणों से मिलते-जुलते होते हैं।
  • ऐसे पहुंचा जा सकता है इस केन्द्र तक
  • राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र तेजी से लोकप्रिय हुआ है। भारत की राजधानी दिल्ली से बीकानेर शहर के बीच हवाई सेवा है। इसके चलते दिल्ली से सीधे बीकानेर पहुंचा जा सकता है। इसके अलावा बीकानेर सभी शहरों से रेल और सड़क मार्ग से भी जुड़ा है। बीकानेर पहुंचने पर टैक्सी, कार किसी भी माध्यम से 8 किमी की दूरी तय कर यहां पहुंचा जा सकता है।

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