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राजस्थानी भाषा के वरिष्ठ साहित्यकार-आलोचक-चिन्तक एवं मान्यता आंदोलन के प्रवर्तक कमल रंगा ने राजस्थानी मान्यता हेतु एक सप्ताह तक निरन्तर उपवास का संकल्प लिया एवं पक्षियों को दाना एवं पशुओं को गुड़ देने का भी आठ दिन तक का संकल्प लिया है।
इस अवसर पर रंगा ने कहा कि वर्ष 2021 में राजस्थानी आलोचना की तीन पुस्तकें शीध्र सृजित करने का एवं राजस्थानी में बर्मी कवितावां आदि अनुवाद कार्य को निरन्तर करते रहेंगे का भी संकल्प लिया। संस्था प्रतिनिधि हरीनारायण आचार्य एवं अशोक शर्मा ने बताया कि कमल रंगा ने वैसे अप्रत्यक्ष रूप से राजस्थानी लिखना, पढना एवं बोलने का संकल्प भी वर्षो से ले रखा है। आपको आज देश-प्रदेश से साहित्यकारों, गणमान्य लोगों पत्रकारों आदि के बधाई संदेश ‘ई तकनीक’ से मिल रहे है, वहीं व्यक्तिगत मोबाइल के माध्यम से भी उन्हें बधाईयां दी जा रही है और उनकी चार दशकों की राजस्थानी साघना को रेखांकित किया।