


Thar पोस्ट न्यूज बीकानेर। बीकानेर नगर के 538 वें स्थापना दिवस पर श्री लक्ष्मीनाथ मंदिर विकास एवं पर्यावरण समिति द्वारा आज श्री लक्ष्मीनाथ जी मंदिर के सामने स्थित श्री गणेश जी मंदिर में “चंदा उत्सव” का आयोजन किया गया।



जिसमें बीकानेर के सुप्रसिद्ध चंदा कलाकारों -ब्रजेश्वर व्यास अनिल बोड़ा,कृष्ण चंद्र पुरोहित , गणेश व्यास,पवन व्यास लोकेश व्यास, अभिषेक बोड़ा, हरेंद्र बोड़ा, चंद्रमोहन हर्ष, मोहित पुरोहित, आदित्य पुरोहित, डॉ राकेश किराड़ू ने विभिन्न संदेश लिखे हुए चंदे उड़ाए।

श्री लक्ष्मीनाथ मंदिर विकास एवं पर्यावरण समिति के सचिव सीताराम कच्छावा ने बताया कि “चन्दा -महोत्सव” में अतिथि जिला उद्योग संघ अध्यक्ष द्वारका प्रसाद पचीसिया,वरिष्ठ भाजपा नेता जे.पी. व्यास प्रदेश सेवा दल उपाध्यक्ष कमल कल्ला,शहर कांग्रेस महासचिव राहुल जादुसंगत तथा आमजन ने परंपरागत चंदा उड़ा कर बीकानेर नगर की खुशहाली की कामना की। इस अवसर पर अतिथियों तथा सभी आंगतुकों ने बीकानेर की प्राचीन परंपरा को निभाते हुए –
आकाशां में उड़े म्हारो चंदो -लखमीनाथ मारी सहाय करें
सदा खुशहाली रेवे शहर में -अन्न धन रो भंडार भरे
तथा गवरा दादी पून दे- टाबरियो रो चंदो उड़े
बोई काटा है गीत गाकर चंदे उड़ाये।
सुप्रसिद्ध चंदा कलाकार श्री बृजेश्वर व्यास ने बताया कि बीकानेर के संस्थापक राव बीकाजी ने बीकानेर नगर की स्थापना के दिन एक गोलनुमा पतंग उड़ाई थी जिसको चंदे के नाम से पहचाना जाता है । उन्होंने चंदे के नीचे अपनी पगड़ी लगाई थी तथा इसे उड़ाया था । इस परंपरा का निर्वहन समिति द्वारा श्री लक्ष्मीनाथ मंदिर परिसर में किया जा रहा है। चंदे को सरकंडे तथा पुरानी बही के कागज से चंदा बनाया जाता है
अतिथियों का स्वागत समिति के सीताराम कच्छावा, शिव चंद तिवाड़ी, विनोद महात्मा, राजेश छंगाणी, महेंद्र सोनी, शैलेश आचार्य, शिव प्रकाश सोनी, निर्मल आचार्य, हनुमंत आसोपा,घनश्याम महात्मा, हरि प्रकाश सोनी, ,शशि दरगड़, अनिल सोनी ,एस.एन. आचार्य,आज़ाद पुरोहित, हेमन्त शर्मा, ने किया।
कार्यक्रम में पहलगाम में आतंकी हमले में मारे गए लोगों की याद में दो मिनट का मौन रखा गया, तथा उन्हें श्रद्धांजलि दी गई।
समिति के सचिव सीताराम कच्छावा ने बताया कि जिला प्रशासन, बीकानेर सहयोग से दिनांक 28 अप्रेल सोमवार को होने वाले “सांस्कृतिक कार्यक्रम ” को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के कारण निरस्त कर दिया गया।
गीत हरजस और लोकगीतों ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया
बीकानेर के 538 वे जन्म दिवस के अवसर पर आयोजित होने वाले भव्य कार्यक्रमों की श्रृंखला में आज शाम नगरी भंडार स्थित नरेंद्र सिंह ऑडिटोरियम में राजस्थानी लोकगीत परंपरा गायन और विचार की एक महत्वपूर्ण संगोष्ठी का आयोजन किया गया ।
संगोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ समाजसेवी एवं लोक कला मर्मज्ञ जुगल किशोर ओझा पुजारी बाबा ने की एवं समारोह के मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार आलोचक डॉक्टर मदन सैनी रहे।
प्रारंभ में कार्यक्रम के संयोजक वरिष्ठ साहित्यकार कमल रंगा ने अपने उद्बोधन में कहा कि कार्यक्रम में एक नवाचार के तहत बीकानेर की समृद्ध लोक परंपरा, हरजस गीत एवं लोकगीतों के माध्यम से खास तौर पर गवर के गीतों की प्रस्तुति महत्वपूर्ण है।
कार्यक्रम में डॉ गौरी शंकर प्रजापत ने अपने विचार रखते हुए कहा कि लोक शास्त्र से महत्वपूर्ण है और बीकानेर अपनी समृद्ध परंपराओं का हमेशा निर्वहन करता रहा है। हमारे हरजस गवर के गीत और लोकगीत हमारी धरोहर है।
इस अवसर पर गवर के गीत पुजारी बाबा की टीम जिसमें विशेष तौर से पांच प्रमुख गायको यथा मुन्ना महाराज ,चुन्नी महाराज ,चंद्रशेखर, बी. र. सूरदासानी , बाबू गोरिया महाराज आदि ने अपने मधुर कण्ठों से संगीत की संगत के साथ गवर के गीत यथा चांद गवर ……., गवर री मौज बीकानेर में……., गढ़ घाट सू उत्तरी गवर……, मारो तेल बले घी गाल ….., घूमे हैं गवरजा रो घाघरो ….. आदि एक से एक उम्दा गीत प्रस्तुत कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
इसी कड़ी में राजस्थानी विशेष कर बीकानेर के परंपरागत लोकगीतों की प्रस्तुति वरिष्ठ लोक गायक सुशील छंगाणी और वरिष्ठ लोक गायिका श्रीमती पदमा व्यास ने एक से एक सुंदर मधुर लोकगीतों की प्रस्तुति देते हुए यथा लूमा झूमा रे……. सपना ……. चरखों निंबुडा……. आदि लोकगीत सुनाकर वातावरण को लोकगीत मय बना दिया।सभी गायकों का अतिथियों का एवं संगीतज्ञों का राव बीकाजी की ओर से सम्मान किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ समाजसेवी जुगल किशोर ओझा पुजारी बाबा ने अपने आशीर्वचन में कहा कि हमारी लोक कलाएं हमारा जीवन दर्शन है,बीकानेर का आम आदमी अपनी लोक परंपराओं में रचा–बसा है और यही लोक परंपराएं चाहे हमारे गवर के गीत हो लोकगीत हो हरजस हो भजन हो सभी नई पीढ़ी तक पहुंचने चाहिए ताकि वह अपनी कलाओं से रूबरू हो सके।

समारोह के मुख्य अतिथि वरिष्ठ आलोचक साहित्यकार डॉ मदन सैनी ने कहा कि लोकगीतों में संस्कृति और सामाजिक परंपराएं कायम रहती है जन्म से लेकर मृत्यु तक मानव जीवन में लोकगीतों का महत्व है ऐसे में हम कह सकते हैं लोकगीत हरजस भजन आदि हमारी धड़कन है ,
गीतों और वजन की प्रस्तुतियों में संगीत चंद्रेश शर्मा ने दिया सहसंयोजक आत्माराम भाटी अभिषेक आचार्य राजेंद्र जोशी डॉक्टर फारूक चौहान अजीज भुट्टो रामलाल सोलंकी जी कोषाध्यक्ष राव बीकाजी संस्थान नरेंद्र स्यानी, सचिव राव बीकाजी संस्थान समारोह का संचालन वरिष्ठ उद्घोषक एवं कवि संजय पुरोहित ने किया। डॉ अजय जोशी कासिम बीकानेर गिरिराज पारीक गंगा विशन बिश्नोई , गोपाल कुमार व्यास,महेश उपाध्याय, वसीमराजा, महेंद्र जोशी, इसरार हसन कादरी, रामगोपाल साहिल राजाराम स्वर्णकार, डॉ नमामिशंकर आचार्य ,ज्ञानेश्वर सोनी ,गौरीशंकर सोनी सहित अनेक गणमान्य लोग उपस्थित रहे।




