


Thar पोस्ट। राजस्थान का पुलिस महकमा सुर्खियों में है। सूबे के अजमेर जिले में तैनात एक कांस्टेबल पवन मीणा द्वारा किए गए करोड़ों रुपये की ठगी के मामले ने राजस्थान पुलिस महकमे में खलबली मची है। लोगों की ठगी के मामले सुलझाने वाली पुलिस खुद ही शिकार हो गई।




पुलिस के मुताबिक आरोपी पवन मीणा ने अपने भाई और सरकारी शिक्षक कुलदीप मीणा के साथ मिलकर पुलिस विभाग के 100 से अधिक जवानों को निवेश के नाम पर झांसे में लेकर करोड़ों रुपये की ठगी की। इस मामले में कार्रवाई करते हुए अजमेर एसपी वंदिता राणा ने आरोपी पवन मीणा को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया है।
ऐसे बनाई योजना
कांस्टेबल पवन मीणा अजमेर पुलिस लाइन में तैनात था और वह करौली जिले का निवासी है। उसकी अपने बैचमेट दीपक वैष्णव से पुरानी जान-पहचान थी। दीपक ने 9 अप्रैल 2025 को क्लॉक टावर थाने में पवन के खिलाफ एक करोड़ की ठगी का मामला दर्ज करवाया था। रिपोर्ट के अनुसार, पवन अक्सर दीपक के थाने आता था और बड़े प्रोजेक्ट्स में निवेश की बातें करता था। वह कहता था कि नेशनल हाईवे पर चल रहे प्रोजेक्ट्स में पैसा लगाकर चौगुना मुनाफा कमाया जा सकता है।
मास्टर माइंड फरार
अक्सर पवन का कहता था कि पुलिस की तनख्वाह से घर चलाना मुश्किल है और कुछ बड़ा करने की सोचनी चाहिए। इसी बहाने उसने दीपक और अन्य पुलिसकर्मियों का विश्वास जीता और मोटा मुनाफा दिलाने का लालच देकर बड़ी रकम हड़प ली। एक ही थाने के 8-10 पुलिसकर्मियों को ठगा गया। वहीं जिलेभर में पीड़ितों की संख्या 100 से अधिक बताई जा रही है। ठगी का मास्टरमाइंड पवन मीणा फिलहाल फरार है। उसके साथ उसका भाई कुलदीप मीणा भी लापता है। पुलिस ने दोनों की गिरफ्तारी के लिए विशेष टीम गठित कर दी है और संभावित ठिकानों पर दबिश दी जा रही है।
पुलिस महकमा इस मामले की हर पहलू से जांच कर रहा है। साथ ही यह भी पता लगाया जा रहा है कि इस नेटवर्क में और कौन-कौन शामिल है। मामले ने राजस्थान पुलिस के आंतरिक तंत्र पर भी कई सवाल खड़े कर दिए हैं।




