Thar पोस्ट, नई दिल्ली। सामाजिक परिवेश तेज़ी से बदल रहा है। भारत में पिछले 15 वर्षों में आमजन की सुविधाओं में जितना इजाफा हुआ है उतना ही समाज मे तनाव भी चरम पर पहुंचा है। सर्वाधिक असर महिलाओं पर हुआ है। इस तनाव की वजह यह भी है कि देश के बदहाल आर्थिक हालात के बीच महिलाएं अपने घर परवार और जॉब्स दोनो मोर्चों पर डटी हुई है। बड़े शहरों के साथ छोटे कस्बों में भी हालत बुरे है। इसके चलते महिलाएं घरेलू हिंसा की शिकार हो रही है। जानकारी में रहे कि अमेरिकी, यूरोपीय देशों तथा एशियाई देशों खासकर भारत और पाकिस्तान की महिलाओं में जमीन आसमान का अंतर है। यूरोप में महिलाओं के साथ हिंसा तो दूर की बात है। वहाँ महिलाएं अपने उसूलों पर आत्मनिर्भर होकर जीवनयापन करती है। जबकि भारत में ऎसा नही है। इंडिया में आत्महत्या करने वाली शादीशुदा महिलाओं की संख्या बढ़ रही है. सरकार के राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो यानी एनसीआरबी की ओर से हाल ही में जारी किए गए आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले साल 22,372 गृहिणियों ने आत्महत्या की थी. यह हर दिन औसतन 61 यानी हर 25 मिनट में एक आत्महत्या के बराबर है। साल 2020 में इस दक्षिण एशियाई देश में दर्ज की गई कुल 1,53,052 आत्महत्याओं में से 14.6 फीसदी आत्महत्याएं शादीशुदा महिलाओं ने की थी. आत्महत्या करने वाली कुल महिलाओं में शादीशुदा महिलाओं की संख्या 50 फीसदी से ज्यादा थी। विश्व स्तर पर, भारत में आत्महत्या की घटनाएं सबसे ज्यादा होती हैं. दुनियाभर में आत्महत्या करने वाले पुरुषों की संख्या में भारतीय पुरुषों की संख्या एक चौथाई है जबकि 15-39 आयु वर्ग में दुनिया भर में आत्महत्या करने वाली महिलाओं में 36 फीसदी महिलाएं भारतीय होती हैं।