


Thar पोस्ट, न्यूज। आवश्यकता ही अविष्कार की जननी है। विश्व को ऊर्जा संकट का सामना नहीं करना पड़े , इसके लिए विश्व के वैज्ञानिक जुटे हुए हैं। फ्रांस में दक्षिण के पहाड़ी इलाके में दुनियाभर में साफ और स्वच्छ ऊर्जा के स्रोतों को हासिल करने के लिए सूरज बनाने की तैयारी चल रही है। इस महान कार्य मे भारत समेत 35 देशों के वैज्ञानिक शामिल हैं। जब सूरज तैयार हो जाएगा, तब मानव इतिहास का ऊर्जा का सबसे बड़ा संकट खत्म हो जाएगा। जलवायु परिवर्तन के कहर से जूझ रही धरती को भी संकट से मुक्ति मिल जाएगी।


इतनी ऊर्जा : इस नकली सूरज से एक ग्राम परमाणु ईंधन से 8 टन तेल के बराबर ऊर्जा बनेगी। वैज्ञानिक परमाणु संलयन (न्यूक्लियर फ्यूजन) पर अपनी बादशाहत हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं। न्यूक्लियर फ्यूजन वही प्रक्रिया है जो हमारे असली सूरज और अन्य सितारों में प्राकृतिक रूप से होती है।
यह प्रक्रिया धरती पर दोहराना आसान नहीं है। न्यूक्लियर फ्यूजन के जरिए जीवाश्म ईंधन के विपरीत असीमित ऊर्जा मिलती है। इसमें जरा भी ग्रीन हाउस गैस नहीं निकलती है। इससे रेडियो एक्टिव कचरे से भी मुक्ति मिलने की उम्मीद है।
1985 में पहली बार आया था आइडिया
विकसित देश फ्रांस के अंतरराष्ट्रीय थर्मोन्यूक्लियर प्रायोगात्मक रिएक्टर (ITER) पहली ऐसी डिवाइस होगी जो लंबे वक्त तक फ्यूजन रिएक्शन जारी रख सकेगी। इसमें इंटिग्रेटेड टेक्नोलॉजी और मैटीरियल को टेस्ट किया जाएगा, जिसका इस्तेमाल फ्यूजन से बिजली के व्यवसायिक उत्पादन के लिए किया जाएगा। इसका 1985 में एक्सपेरिमेंट का पहला आइडिया लॉन्च किया गया था। इसकी डिजाइन बनाने में भारत, जापान, कोरिया, यूरोपियन यूनियन और अमेरिका की भूमिका है।

