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IMG 20210817 125344 अफगानिस्तान में महिलाओं की चीत्कार Bikaner Local News Portal अंतरराष्ट्रीय
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Thar पोस्ट, नई दिल्ली। अफगानिस्तान में महिलाओं की चीत्कार दनदनाती गोलियों की आवाज में दब रही है। महिलाओं पर वहशीपन कल्पना से परे है। तालिबान के कब्जे से सबसे ज्यादा खौफजदा हैं अफगानी महिलाएं और लड़कियां क्योंकि जैसे ही तालिबान ने कुछ शहरों पर कब्जा किया तो सबसे पहले वहां की औरतों को किडनैप करके जबरदस्ती उनकी शादी तालिबानी फाइटर्स के साथ करवा दी। तालिबान के लोग महिलाओं के साथ रेप कर रहे हैं इसलिए वहां के लोग सबसे पहले अपने बेटियों को महफूज जगह पहुंचाना चाहते हैं। देर रात अफगानिस्तान से कुछ लड़कियां भारत पहुंची हैं। अफगानिस्तान की हर लड़की इस वक्त खौफ में हैं और मदद की गुहार लगा रही हैं। वो पूरी दुनिया से पूछ रही है कि तमाम पावरफुल मुल्क अफगानिस्तान के लोगों की मदद के लिए आगे क्यों नहीं आ रहे हैं?लोगों को पूर्व में 1996 से 2001 तक तालिबान द्वारा की गई बर्बरता की बुरी यादें डरा रही हैं। सबसे अधिक चिंतित महिलाएं हैं जिन्हें तालिबान ने विगत में घरों में कैद रहने को मजबूर कर दिया था। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले साल अपने कार्यकाल में अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों को वापस बुलाने की योजना की घोषणा की थी। वहीं, अमेरिका के मौजूदा राष्ट्रपति जो. बाइडन ने इस योजना को वास्तव में ही अंजाम दे दिया और 31 अगस्त तक अंतिम सैनिक की वापसी की समयसीमा तय कर दी। 

अमेरिका और नाटो सहयोगियों ने अफगान सुरक्षाबलों को प्रशिक्षित करने के लिए अरबों डॉलर खर्च कर दिए, लेकिन पश्चिम समर्थित अफगान सरकार भ्रष्टाचार में डूबी थी। अफगान कमांडरों ने संसाधनों में हेरफेर करने के लिए सैनिकों की संख्या बढ़ा-चढ़कार दिखाई और जब युद्ध की नौबत आई सैनिकों के पास गोला-बारूद और खाने-पीने तक की चीजों की कमी हो गई। 

नतीजा उनकी हार के रूप में निकला। रविवार को तालिबान काबुल में भी घुस गया और इस बीच, राष्ट्रपति अशरफ गनी के देश से भाग जाने की खबर भी आई। देश की जनता को निराश और भयभीत करने के लिए यह काफी था। स्त्री-पुरुष और बच्चे सभी भयभीत हैं और वे यही सोच रहे हैं कि आगे क्या होगा। रोते-बिलखते लोगों को देखकर समझ आ सकता है कि अफगानिस्तान किस अंधकार की तरफ जाता दिख रहा है। 

अमेरिका दावा कर रहा था कि तालिबान काबुल पर कब्जा नहीं कर पाएगा। काबुल तक पहुंचने में तालिबानी फाइटर्स को तीस दिन लगेंगे इसलिए काबुल में लोग थोड़ा निश्चित थे। दूसरे शहरों से भी लोग आकर काबुल में शरण ले रहे थे लेकिन तालिबान ने तीस दिन तो छोडिए तीन दिन में ही प्रेसीडेंशियल महल पर कब्जा कर लिया इसलिए लोगों को वक्त नहीं मिला। अब लोगों के पास जो है उसे लेकर भाग रहे हैं। इस वक्त काबुल में ज्यादातर बैंकों के ATM के बाहर लाइनें हैं क्योंकि लोग बैंकों से अपना पैसा निकाल रहे हैं।


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