Thar पोस्ट, राजस्थान। अफगानिस्तान में युवा वर्ग तेज़ी से। जीन्स टी शर्ट को अलविदा कह रहा है। तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जे के साथ ही देश में महिला अधिकारों को लेकर गंभीर चिंता पैदा हो गई है. पिछले 20 सालों में जो तरक्की महिलाओं ने हासिल की है वह हाथों से निकलती दिख रही है। अफगानिस्तान में कई लोगों को डर है कि तालिबान महिलाओं को मिले अधिकारों को वापस ले लेगा और जातीय अल्पसंख्यक, पत्रकारों और एनजीओ को उनके काम से रोकेगा. अफगानों की एक पूरी पीढ़ी एक आधुनिक, लोकतांत्रिक देश के निर्माण की उम्मीदों पर पली-बढ़ी. युवाओं ने बेहतर भविष्य के सपने देखे थे लेकिन तालिबान की वापसी जितनी तेजी हुई है वह सपने मुरझा रहे हैं
तालिबान काबुल में दाखिल हुआ तो सोशल मीडिया पर एक तस्वीर तेजी से वायरल हुई जिसमें ब्यूटी पार्लर का मालिक महिलाओं के पोस्टर को रंग से छिपा रहा था. युवा जो जींस और शर्ट पहने हुए थे वे अपने घरों की ओर भाग पड़े ताकि वे पारंपरिक सलवार कमीज पोशाक पहन सके।
जिन शहरों में तालिबान ने कब्जा कर लिया है वहां सरकारी कार्यालय, दुकानें, बाजार और स्कूल बंद हैं. शहर के लोग ज्यादातर घर के भीतर ही रहना सुरक्षित मान रहे हैं. वहीं काबुल में लोग डर की वजह से शहर से भाग रहे हैं या फिर विदेश जाने के लिए विमान में सवार होने की कोशिश में लगे हुए हैं।पश्चिमी शहर हेरात में 25 वर्षीय विश्वविद्यालय की छात्रा जो कि एक स्थानीय एनजीओ के लिए काम करती हैं वह बताती हैं कि लड़ाई के कारण वह घर से बाहर नहीं निकल पाई है. पिछले हफ्ते हेरात तालिबान के कब्जे में चला गया था. वह बताती है कि महिलाएं अब सड़क पर कम निकल रही हैं और यहां तक की महिला डॉक्टर भी घर पर रहना चाह रही हैं. उन्होंने हेरात से फोन पर बताया, “मैं तालिबान के लड़ाकों का सामना नहीं करना चाहती.” वह तालिबान के डर के कारण अपना नाम नहीं बताना चाहती. वह कहती है, “उनके बारे में मेरी राय अच्छी नहीं है. महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ तालिबान के रुख को कोई नहीं बदल सकता है, वे अभी भी महिलाओं को घर पर रखना चाहते हैं।