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IMG 20210606 WA0147 उपन्यास 'गम्योङा अरथ' का लोकार्पण Bikaner Local News Portal बीकानेर अपडेट
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Thar पोस्ट। बीकानेर मुक्ति संस्था के तत्वावधान में रविवार को युवा लेखक डॉ नमामी शंकर आचार्य द्वारा पंजाबी से राजस्थानी में अनुदित उपन्यास ‘गम्योङा अरथ’ का लोकार्पण किया गया । लोकार्पण समारोह की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार बुलाकी शर्मा ने की। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि साहित्य अकादमी, नई दिल्ली में राजस्थानी भाषा परामर्श मंडल के संयोजक मधु आचार्य ‘आशावादी’ थे तथा कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि कवि- कथाकार राजेन्द्र जोशी रहे ।
पंजाबी के वरिष्ठ साहित्यकार निरंजन सिंह तस्नीम के पंजाबी भाषा में लिखित उपन्यास ‘ गवाचे अरथ ‘ को साहित्य अकादेमी नई दिल्ली से 1999 में पुरस्कार मिला है जिसका राजस्थानी भाषा में युवा साहित्यकार डॉ नमामी शंकर आचार्य ने गम्योड़ा अरथ शीर्षक से अनुवाद किया तथा केन्द्रीय साहित्य अकादमी नई दिल्ली ने प्रकाशित किया है ।
लोकार्पण समारोह की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार बुलाकी शर्मा ने कहा कि पंजाबी उपन्यास का राजस्थानी भाषा में डॉ आचार्य ने बेहतरीन अनुवाद किया है उन्होंने कहा कि निरंजन सिंह तस्नीम पंजाबी के वरिष्ठ साहित्यकार रहे हैं । उन्होंने अपने अनुभवों से हम लोगों को इस उपन्यास के माध्यम से परिचित कराने का प्रयास किया है। शर्मा ने कहा कि आत्मकथात्मक शैली में लिखा गया यह उपन्यास राजस्थानी भाषा के पाठकों के लिए डॉ. आचार्य का मुकम्मल प्रयास है।
लोकार्पण समारोह के मुख्य अतिथि मधु आचार्य आशावादी ने कहा कि साहित्य अकादमी सदैव अन्य भारतीय भाषाओं के साहित्य को अधिक से अधिक राजस्थानी भाषा में प्रकाशित करने का प्रयास कर रही है । आचार्य ने कहा कि युवा शोधार्थी डॉ नमामी शंकर आचार्य ने इस उपन्यास को राजस्थानी भाषा में अनुवाद कर इसके माध्यम से 1984 के और उसके बाद के पंजाब की तस्वीर रखकर उस समय से राजस्थानी पाठकों को रूबरू करवाने का प्रयास किया है,जो सराहनीय है । उन्होंने कहा कि यह उपन्यास स्वाभिमानी लोगों के दर्द का बेहतरीन अभिलेख है ।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि कवि कथाकार राजेन्द्र जोशी ने कहा कि अनुवाद मौलिक रचना में परकाया प्रवेश करने जैसा है । अनुवाद- कर्म दोयम दर्जे का रचना-कर्म नहीं वरन पुनः सृजन है । जोशी ने कहा कि युवा रचनाकार डॉ नमामी शंकर आचार्य चीजों को सूक्ष्म तरीके से देखने वाले शोधार्थी हैं । उन्होंने ‘ गम्योड़ा अरथ ‘ उपन्यास के माध्यम से राजस्थानी पाठकों को पंजाब के लोगों द्वारा महसूस की गई उस त्रासदी की हकीक़त से परिचित कराने का कामयाब काम अनुवाद के माध्यम से किया है ।
अनुवादक युवा शोधार्थी डॉ नमामी शंकर आचार्य ने अनुवाद कर्म पर अपनी बात रखते हुए कहा कि गम्योड़ा अरथ उपन्यास का अनुवाद करते हुए भावनात्मक रूप से वे पंजाब की दास्तान को झेलने वाले पंजाबी दिलों में गोते लगाने लगे । उन्होंने बताया कि किसी मनुष्य के दर्द को भाषा में उकेरना उसमें शामिल होने जैसी अनुभूति होने लगती है । इस अवसर पर उन्होंने उपन्यास के एक मर्मस्पर्शी अंश का वाचन किया, जिसकी सबने मुक्तकंठ से प्रशंसा की ।


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