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आफत में भी जीता है, हर आफत को जीतता है

Thar पोस्ट, बीकानेर। नगर स्थापना दिवस के अवसर पर मुक्ति संस्था एवं साझी विरासत के संयुक्त तत्वावधान में दो दिवसीय कार्यक्रमों की श्रृंखला बुधवार को कवि सम्मेलन एवं मुशायरे के आँनलाइन आयोजन से प्रारंभ हुऐ ।
कार्यक्रम के संयोजक राजेन्द्र जोशी ने कहा कि बीकानेर नगर का 534 वां नगर स्थापना दिवस के अवसर पर शानदार तरीके से भाव विभोर कर देने वाला वर्चुअल कवि सम्मेलन एवं मुशायरे में प्रदेश के बेहतरीन नौ रचनाकारों ने धमाकेदार प्रस्तुति देते हुए जोरदार तरीके से रंग भरे।
उन्होंने बताया कि कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार डॉ मदन केवलिया ने अपने उद्बोधन में कहा कि सुनहरे धोरों की इस धरती के निवासियों ने जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में अनुकरणीय कीर्तिमान स्थापित किए हैं। यहाँ के लोगों की कर्मठता, जीवन को जीने का निराला अंदाज और सांप्रदायिक सौहार्द विश्व प्रसिद्ध है। नगर स्थापना दिवस पर हम संकल्प लें कि बीकानेर की सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण करते हुए जिले के चहुंमुखी विकास में अपनी महती भूमिका निभाएंगे। हम कोरोना महामारी का मिलजुलकर मुकाबला करें और इसे परास्त करें। डाॅ. केवलिया ने अपनी कविता की दो पंक्तियाँ सुनाई-
” आफत में भी जीता है, हर आफत को जीतता है
भाईचारे का संगम है, मेरा बीकानेर।
समारोह में सान्निध्य देते हुए साहित्य अकादेमी नई दिल्ली में राजस्थानी भाषा परामर्श मंडल के संयोजक मधु आचार्य ने कहा कि देश में बीकानेर की कविता बरसों से सिरमौर बनी हुई है, आलीजा शहर हर परिस्थितियों में बेबाक़ बोल बोलनेवालों शहरों की गिनती में गिना जाता है आचार्य ने कहा कि आज पढ़ी गयी कविताओं में विस्तार मिलता है तथा यह कवि प्रदेश के नवरत्न है । उन्होंने कहा कि शब्द ही संवेदनाओं को आकृति देते हैं ।
वरिष्ठ साहित्यकार बुलाकी शर्मा ने स्वागत भाषण करते हुए नगर के इतिहास पर प्रकाश डाला ।
वरिष्ठ कवि डॉ गजादान चारण ने “अड़वां नैं ओळभा” शीर्षक से कविता पाठ करते हुए कहा कि हमारे भारत का सांस्कृतिक बाग रंग-बिरंगे गुण-सुमनों से सुसज्जित था, उसी सांस्कृतिक सौंदर्य को आधार बनाकर ‘सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा’ कहा गया लेकिन उस सांस्कृतिक वैभव वाले बाग पर आज संकट के बादल मंडरा रहे हैं, ऐसे में कवि का प्रश्न है कि इस सुरम्य बाग की बदहाली हेतु बाग के रखवाले मालियों को उलाहना दिया जाए या बिजुकाओं को।
कवि सम्मेलन एवं मुशायरे में कवि-आलोचक डॉ नीरज दइया ने राजस्थानी कविता “मूंडै मूँग घाल’र बैठणो” शीर्षक से कविता पाठ करते हुए चाय के छोटे से प्रसंग द्वारा जीवन में हर छोटी-बड़ी स्थिति में व्यक्ति के मुखरित होने और अपनी मूक उपस्थिति, तटस्थता से बाहर निकलने पर बल दिया।
इस अवसर पर हिन्दी-राजस्थानी की चर्चित कवयित्री मौनिका गौड़ ने राजस्थानी कविता ” झूठो अभिमान ” एवं हिन्दी कविता “तुम कैसी हो ? ” की प्रभावी प्रस्तुति देते हुए सामयिक स्थितियों पर सधे शब्दो मे साहित्यिक परिदृश्य के मैन्युपुलेशन पर कटाक्ष किया तथा स्त्री की पहचान उसके स्वयम के बूते पर बनाने की हिमायत की।
नगर स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित कवि सम्मेलन एवं मुशायरे में वरिष्ठ कवि राजेन्द्र स्वर्णकार ने बीकानेर से संबंधित शानदार रचनाएँ प्रस्तुत करते हुए आवोनी आलीजा…आवोनी म्हारा पांवणां , पधारो म्हांरै देश एवं
बीज सुदी बैशाख संवत पनरैसौ पैंताळीस
थरप्या बीकाजी बीकाणो, करणी मा आशीष
मुरधर दिवला जगमग जगया सूरज नैं शरमावणा…
स्वर्णकार ने लिखमीनाथ लालेश्वर बाबो मा नागाणी सहाय
कपिल मुनी कोडाणो भैरूं गीरबो और बधाय
कण कण रच्छक पीर भोमिया करै म्हांरी प्रतिपाळणा… की शानदार प्रस्तुति दी।
युवा कवियत्री-आलोचक डॉ रेणुका व्यास ने शानदार तरीके से भाव विभोर कर देने वाला गीत देख ! दीपक जल रहा है, घोर तम के सामने भी नर सिर उठाकर
स्नेह धारे हृदयतल मे/चल रहा है/देख! दीपक जल रहा है
के अलावा एवं ‘सस्ते लोगों की महंगी मौत’ कविता भी सुनाई तो
जागता है अजान के साथ
आरती संग गाता है शहर।
युवा कवि राजूराम बिजारणियां ने “दिल में हिंदुस्तान सम्भाले, मैं एक राजस्थानी हूँ” से रचनाओं का आगाज किया। चौंतीस गावों के विस्थापन की पीड़ा को उजागर करता गीत ‘मिलो ना कभी फिर उसी मोड़ पर” ने भावुक कर दिया वहीं बिजारणियां ने “प्रीत कसौटी खरो उतरतो निछरावळ हमेस,
मंगळ गावै मोद मनावै, मरुधर म्हारो देस.!” से राजस्थान की झांकी प्रस्तुत की।
इस अवसर पर वरिष्ठ उर्दू शायर ज़ाकिर अदीब ने बीकानेर शहर की खास पहचान अपनापन का पर्याय बीकानेर से संबंधित गजल सुनाकर वाहवाही लूटी उन्होंने साम्प्रदायिक सदभाव के रचनाएँ पेश की।
वरिष्ठ गीतकार मनीषा आर्य सोनी ने बीकानेर शहर को विशेष पहचान दिलाने वाले गीतों की प्रस्तुति एकर चाल रे बादीला नगर बीकाणै खानी चाल
सोने सिरसा मिनख जठै रा प्रीत सूं मालामाल,,,, से रंग भर दिए ।
युवा कवि शशांक शेखर जोशी ने कोरोना महामारी के इस दौर में सरकारों पर कटाक्ष करती हुई अपनी कविता ‘मरना होगा तुम्हें भी एक दिन’ के माध्यम से नेताओं-मंत्रियों को कड़ा संदेश देने का प्रयास किया कि मौत सबके लिए है ये आम और खास में फर्क नहीं करती। वहीं अपनी दूसरी कविता ‘हो सके तो वापस मिलना’ मेंY इस महामारी के दौर में दिवंगत हो गए लोगों से दूसरी दुनिया में नए रिश्ते और वजूद के साथ मिलने की बात कहते नजर आए। अपने छोटे शहर को बड़ा होता देखते हुए, शहर की तासीर में हो रहे बदलावों को कवि ने अपनी कविता ‘बड़े शहरों की अंधी चमचमाहट’ में बयां किया।
कार्यक्रम का संचालन कवि-कथाकार राजेन्द्र जोशी ने किया तथा तकनीकी अधिकारी युवा कवि शशांक शेखर जोशी रहें एवं सभी के प्रति साहित्यकार राजाराम स्वर्णकार ने आभार प्रकट किया ।

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मुख्य समारोह गुरुवार को होगा
बीकानेर नगर के 534 वें स्थापना दिवस के अवसर पर दूसरे दिन गुरुवार को झूम एप पर शानदार तरीके से मुख्य समारोह आयोजित होगा ,कार्यक्रम संयोजक कवि- कथाकार राजेन्द्र जोशी ने बताया कि मुक्ति संस्था एवं साझी विरासत के संयुक्त तत्वावधान में मुख्य समारोह गुरुवार को होगा, समारोह में सान्निध्य देने हेतु मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के शामिल होने की संभावना है । मुख्य समारोह के मुख्य अतिथि राजस्थान सरकार के ऊर्जा एवं जनस्वास्थय मंत्री डॉ बी डी कल्ला होगे, कार्यक्रम की अध्यक्षता केन्द्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल करेंगे तथा विशिष्ट अतिथि उच्च शिक्षा मंत्री भंवर सिंह भाटी, विधायक सिद्दि कुमारी एवं महापौर श्रीमती शुशीला कंवर राजपुरोहित रहेंगे ।
कार्यक्रम समन्वयक साहित्यकार बुलाकी शर्मा ने बताया कि मुख्य समारोह विभिन्न विषयों पर कार्य करने वाले यथा राजनीति, पत्रकारिता, कला साहित्य एवं संस्कृति , शिक्षा, उधोग, विधि विशेषज्ञ सहित अनेक महानुभावों को आमंत्रित किया गया है । शर्मा ने बताया कि गुरुवार को प्रातः 11:15 बजे झूम एप पर शानदार तरीके से कार्यक्रम का आयोजन किया गया है ।


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