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ScreenShot2020 08 19at5.45.42PM 161 भारतीय काल-गणना दुनिया में सर्वाधिक वैज्ञानिक Bikaner Local News Portal बीकानेर अपडेट
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Thar पोस्ट,चूरू। राजस्थान विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय शिक्षक संघ (राष्ट्रीय) की चूरू इकाइयों की ओर से शुक्रवार को ‘काल-गणना की भारतीय अवधारणा’ विषय पर एक ऑनलाइन संगोष्ठी आयोजित की गई, जिसके मुख्य वक्ता संगठन के प्रदेश संगठन मंत्री डॉ. दिग्विजय सिंह थे। अपने वक्तव्य में डॉ. सिंह ने कहा कि काल-गणना की भारतीय पद्धति दुनिया की सबसे अधिक वैज्ञानिक पद्धति है और यही भारतवासियों के जीवन-दर्शन के अनुकूल है, जबकि काल-गणना की पश्चिमी पद्धति अनेक विसंगतियों से युक्त है और वह भारतवासियों के जीवन-दर्शन के अनुकूल नहीं है। उन्होंने आग्रह किया कि हमें अपने जन्मदिन, विवाह की वर्षगांठ आदि उत्सव भारतीय पंचांग के अनुसार ही मनाने चाहिए।संगठन के प्रदेश सह संगठन मंत्री डॉ. रिछपाल सिंह ने इस अवसर पर कहा कि भारतीय काल-गणना का ज्ञान नई पीढ़ी के लिए बहुत जरूरी है, ताकि उसे हमारी संस्कृति का ज्ञान हो।आयोजन की अध्यक्षता करते हुए जयपुर संभाग संगठन मंत्री डॉ. सुरेन्द्र सोनी ने कहा कि भारतीय काल-गणना हमारे इतिहास-बोध के साथ-साथ हमारी वैयक्तिक व सामूहिक चेतना की भी परिचायक है और हमें इसके सनातन मूल्यों को जग में उजागर करना चाहिए, ताकि पश्चिमी विद्वानों द्वारा उत्पन्न की गई भ्रांतियों को दूर किया जा सके।संगोष्ठी में बड़ी संख्या में संगठन के पदाधिकारी व कार्यकर्त्ता उपस्थित थे। सीकर विभाग के सहसचिव डॉ. महेन्द्र खारड़िया ने सभी आगंतुक प्रतिभागियों के प्रति आभार ज्ञापित किया। संगोष्ठी के प्रारम्भ में डॉ. भवानी शंकर शर्मा ने मंगलाचरण प्रस्तुत किया। संचालन प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य व सीकर विभाग के सचिव डॉ. देवीशंकर शर्मा ने किया।


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