Tp न्यूज़। बीकानेर नगर निगम महापौर के निवास के सामने स्थित एक कथित अवैध पार्क के विवाद ने तूल पकड़ लिया है। यह विवाद महाराजा गंगा सिंह ट्रस्ट व महापौर निवास के बीच चल रहा है। करीब एक साल से चल रहा विवाद अब यहां तक पहुंच गया कि महापौर सुशीला कंवर राजपुरोहित के ससुर व भाजपा नेता गुमान सिंह राजपुरोहित को आज प्रेस वार्ता आयोजित कर अपना पक्ष रखना पड़ा। दोनों पक्ष एक दूसरे को कब्जाधारी बता रहे हैं। बीकानेर राजघराने की राजकुमारी व पूर्व विधानसभा क्षेत्र की विधायक सिद्धि कुमारी का नाम भी इस विवाद में कहीं ना कहीं घसीटा जा रहा है। मामला महापौर निवास के सामने व लालगढ़ कैंपस के पीछे की दीवार से लगते पार्क से जुड़ा है। यूआईटी ने नवंबर 2019 में इस पार्क की फैंसिंग के कार्य हेतु टेंडर निकाला था। जिसके बाद फैंसिंग का कार्य हुआ। महापौर पति विक्रम सिंह के अनुसार पार्क के आसपास सरकारी विभाग है। ऐसे में लोग पार्क की दीवारों पर मूत्र विसर्जन कर उन्हें गंदा कर देते थे। इसी समस्या से निजात पाने के लिए कॉलोनी वासियों ने मिलकर एक टॉयलेट बनवाया। वहीं चार दिवारी हो रखे खांचे पर टीन शेड लगवाकर एक कमरा भी बनवाया। इस कमरे का उपयोग पार्क के लिए प्रयोग होने वाली कुल्हाड़ी, फावड़ा आदि सामग्री को सुरक्षित रखने के लिए किया जाता है। लेकिन इसे लेकर गंगा सिंह ट्रस्ट द्वारा पार्क पर कब्जा करने के गलत आरोप लगाए जा रहे हैं। जबकि पार्क सबके लिए खुला है। विक्रम सिंह के अनुसार निर्माण के दौरान ट्रस्ट के सचिव हनुमंत सिंह तीन बार उनके घर चाय पर चर्चा करके गए थे। निर्माण होने तक उन्हें कोई आपत्ति नहीं थी, जहां आपत्ति थी वहां समाधान भी कर दिया गया। ऐसे में बाद में उनके परिवार का नाम उछालना गलत है। विक्रम सिंह के अनुसार इस मामले में विधायक सिद्धि कुमारी का कहीं हस्तक्षेप नहीं है। ट्रस्ट की चेयरपर्सन राजकुमारी राज्यश्री हैं। राजपुरोहित ने आरोप लगाया है कि यह ट्रस्ट पहले से ही बहुत से विवादों में उलझा है। ट्रस्ट ने पैलेस के बाहर एक जगह करीब डेढ़ सौ फीट तक सरकारी भूमि पर भी कब्जा कर रखा है। वहीं ट्रस्ट ने अपने कर्मचारी के लिए सरकारी भूमि पर एक मकान बनाया था, बाद में कर्मचारी से बिगड़ी तो उसे वहां से निकाल दिया गया, इस मामले में भी एक मुकदमा चलने की बात कही जा रही है। वहीं गंगा सिंह ट्रस्ट के सचिव हनुमंत सिंह ने खुलेतौर पर गुमानसिंह राजपुरोहित पर पार्क में कब्जे का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि राजपुरोहित इस पार्क में आम जन को घुसने नहीं देते, वहां उन्होंने गार्ड लगा रखा है। वहीं उनका परिवार तथा उनके मेहमान ही पार्क में जा सकते हैं। लालगढ़ पैलेस के सीनियर एक्जीक्यूटिव मैनेजर गोविंद सिंह का कहना है कि राज्यों के विलय के समय प्राइवेसी कायम रखने हेतु लालगढ़ पैलेस के चारों तरफ खुली जगह छोड़ी गई थी, यह बफर जोन भी है। यहां किसी भी प्रकार का निर्माण अवैध है, केवल पेड़ पौधे लगाए जा सकते हैं। हालांकि उनका विवाद प्राइवेसी को लेकर नहीं है, उनका विवाद रास्ते पर कब्जे, टॉयलेट व कमरे के निर्माण तथा पार्क पर कब्जे को लेकर है। आरोप यह भी है कि प्रशासन से लेकर सरकार ने गंगा सिंह ट्रस्ट की शिकायत पर कोई ध्यान नहीं दिया। हालांकि मामले में सिद्धि कुमारी के सीधे तौर पर हस्तक्षेप से इन्कार किया गया है। ट्रस्ट सचिव व पैलेस मैनेजर खुलेतौर पर सिद्धि कुमारी के हस्तक्षेप को स्वीकार नहीं करते।
राजपुरोहित द्वारा लगाए कब्जे के आरोपों पर गोविंद सिंह का कहना है कि प्रशासन जांच करवा लें, उनके ट्रस्ट ने कहीं नाजायज कब्जा नहीं कर रखा है। मामला पूरे प्रदेश में तूल पकड़ने लगा है। अब देखना यह है कि मामले को लेकर जांच बैठती है या राजघराने व महापौर परिवार के बीच शीतयुद्ध जारी रहता है। सिद्धि कुमारी का मामले में हस्तक्षेप होता है तो यह विवाद आपसी अंतर्कलह भी पैदा कर सकता है। पार्क मामले में कई तरह के पेंच है। इसमें परस्पर राजनीती से भी इंकार नहीं किया जा सकता। साभार