Tp न्यूज़, बीकानेर।विश्व मातृ भाषा दिवस के अवसर पर प्रज्ञालय संस्थान एवं शबनम साहित्य परिषद् के दो दिवसीय साझा आयोजन के दूसरे दिन विश्व स्तरीय राजस्थानी भाषा मान्यता पर केन्द्रित संगोष्ठी वेबिनार का ई-तकनीक के माध्यम से आयोजन किया गया। इसमें कई देश-विदेश के लोग शामिल हुए।
विश्व स्तरीय वेबिनार की अध्यक्षा करते हुए बैंकाक के वरिष्ठ शायर माहीर निज़ामी ने कहा कि राजस्थानी को दुसरी राज भाषा एवं संवैधानिक मान्यता नहीं देना करोड़ो लोगो की जन भावना की उपेक्षा है। प्रारम्भ में राजस्थानी के कवि कथाकार एवं राजस्थानी मान्यता आंदोलन के प्रवर्तक कमल रंगा ने विषय प्रवर्तन करते हुए कहा कि राजस्थानी विश्व की समृद्ध भाषाओं में एक है, साथ ही भारतीय भाषा परिवार में अपना महत्वूपर्ण स्थान रखती है। ऐसे में राजस्थानी को प्रदेश की दूसरी राजभाषा न बनाना एवं सवैधानिक मान्यता न मिलना एक दुखद पहलू है क्योंकि राजस्थानी मान्यता का सवाल हमारी पहचान एवं अस्मिता का सवाल है
नेपाल की साहित्यकारा सरिता पन्थी ने कहा कि राजस्थानी भाषा सभी भाषा वैज्ञानिक मापदण्ड़ो को पूरा करती है, ऐसी भाषा के साथ अन्याय होना ठीक नहीं है। इसी क्रम में काठमाण्डू की कवियत्री सरिता अर्याल ने कहा कि राजस्थानी को शीघ्र मान्यता मिले। हम नेपाली भाषा के लोग इस बात का समर्थन करते है। संगोष्ठी में अपने विचार रखते हुए मध्यप्रदेश, दतिया के युवा शायर दिलशेर (दिल) ने कहा कि राजस्थानी और उर्दू दोनो का भाषाई भाईचारा है और राजस्थानी को राजभाषा बनाने से उर्दू को कहीं नुकसान नहीं है।
अपनी बात रखते हुए उतराखंड की रचनाकार विमला जोशी ने कहा कि राजस्थानी भाषा का अपना वैभव है और समृद्ध इतिहास है ऐसी भाषा की अनदेखी करना दूरभाग्य पूर्ण है।
अलीगढ़ की वरिष्ठ शिक्षाविद् प्रो. राहीला रईस कहा कि राजस्थानी मान्यता की मांग वाजिब है उसे उसका हक तुरन्त मिलना चाहिए ताकि भाषा और संस्कृति जीवित रह सके। परवान चढ़ी संगोष्ठी में बोलते हुए। झांसी के शायर अब्दुल जबार खांन ने कहा कि राजस्थानी को तुरन्त मान्यता मिलनी चाहिए। क्योंकि राजस्थानी का वर्षो से अहिंसात्मक भाषा आन्दोलन के माध्यम से मांग होती रही है।
इस संगोष्ठी के प्रभारी शबनम साहित्य परिषद् के निदेशक एवं शायर अब्दुल समद राही ने कहा कि राजस्थानी की मान्यता ज्वलंत मुद्दा है और भाषा मान्यता की मांग जायज है इस बाबत शीध्र निर्णय होना चाहिए। इसी कडी में अपनी बात रखते हुए जोधपुर के शायर इकबाल फैक ने कहा कि भाषा व्यक्ति की पहचान है अतः राजस्थानी को सरकार तुंरत मान्यता दे। संगोष्ठी में विचार रखते हुए, जयपुर से शायर कासिम बीकानेरी ने कहा कि राजस्थानी प्रदेश की दूजी राजभाषा शीध्र बननी चाहिए। क्योंकि उसके लिए स्पष्ट संवैधानिक प्रावधान है । विश्व स्तरीय वेबिनार में अब्दुल जबार, डाॅ. राजेन्द्र, नरेन्द्र, शौकत, जोधराज बी, अनुपमा, गुरमीत कौर के. पद नामन सहित कई भारतीय भाषाओं के रचनाकारों एवं भाषीय लोगों ने राजस्थानी मान्यता की बात पर अपना समर्थन दिया।
विश्व स्तरीय वैबिनार का ई-सचालन इंजि. सुमित रंगा ने किया एवं सभी का आभार प्रज्ञालय के राजेश रंगा ने ज्ञापित किया। कमल रंगा संगोष्ठी संयोजक।