Tp न्यूज़। बीकानेर।अच्छी कविता अपने समय को अभिव्यक्त करते हुए, एक रचनात्मक दस्तावेज बन जाती है एवं कविता हमेशा मानवीय चेतना की पैराकर रही है, साथ ही कविता समय के सत्य को उद्धाटित करते हुए, अपनी सकारात्मक भूमिका का निर्वहन करती रही है। यह उद्गार प्रज्ञालय सस्थान बीकानेर एवं शबनम साहित्य परीषदृ सोजत के साझा ई तकनीक से दो दिवसीय विश्व मातृभाषा दिवस को समर्पित आयोजनो ंके पहले दिन आयोजित बहुभाषा राष्ट्रीय स्तरीय काव्य गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ कवि-कथाकार एवं राजस्थनी मान्यता आंदोलन के प्रवर्तक कमल रंगा ने व्यक्त किए।
रंगा ने कहा कि ई-तकनीक से हुई इस काव्य गोष्ठी में उर्दू का मिठास, हिन्दी का सौन्दर्य एवं राजस्थानी पंजाबी भाषा की मठोठ एवं रंगत का आनंद ई-श्रोताओ ने लिया। आज प्रस्तुत सभी रचनाओं में मानवीय वेदना-सवेदना के साथ-साथ वर्तमान समसायिक और जीवन के यर्थाथ से जुड़ी एक से बढ़ कर एक रचनाओं से ई-श्रोताओं ने खुब दाद बटोरी।
बहुभाषी काव्य गोष्ठी के मुख्य अतिथि उज्जैन मध्यप्रदेश के वरिष्ठ शायर मुनव्वर अली ‘‘ताज’’ ने काव्य गोष्ठी के बारे में कहा कि यह बेहतरीन आयोजन है और संस्था द्वारा भारतीय भाषाओं में समन्वय की बात करना एक महत्वपूर्ण पहल है।
काव्य गोष्ठी का आगाज युवा-शायर कासिम बीकानेरी ने अपनी ताजा गजल के उन्दा रचना के माध्यम से कि रखते हुए। ‘‘आगे सीने में सुलगती हुई जो है रखते/ सबसे आगे वो जमाने में निकल जाते है। इसी ऋम में पंजाबी एवं हिन्दी कि कवियत्री सुर्कीति भटनागर पटियाल ने कोरोना पर अपनी रचना में ‘‘महामारी के बीच रहे-पर नहीं तनिक अकुलाते वे..’’
परवान चढ़ी काव्य गोष्ठी में राजस्थानी का रंग भरते हुए वरिष्ठ कवि कमल रंगा ने अपनी नव सदर्भ एवं नवबोध की कविताओं के माध्यम से नारी की पीड़ा को उकेरा वहीं उधम सिंह नगर उतराखण्ड के कवि डाॅ. महेन्द्र प्रताप पाण्डें ने अपनी नई रचना के माध्यम से भरूण हत्या पर व्यंग्य करते हुए-‘‘ठीक है तेरी मजबूरी थी, नहीं चाहती थी तुम ढोना/ एक बार तो सुन सकती थी, तुम कुड़े पर मेरा रोना…’’ तो अहमदाबाद गुजरात की गीतकार श्रीमती मधु प्रसाद ने अपने नवगती-‘‘नेहदीप धर दो द्वारे पर मन में फैला रहे उजालाकृसे दाद बटौरी।
उर्दू के वरिष्ठ शायर एवं शबनम साहित्य परिषद् के प्रंबध निदेशक एवं कार्यक्रम प्रभारी सोजत सिटी राजस्थान के अब्दुल समद राही ने अपनी बेहतरीन गजल के उम्दा शेरो के माध्यम से काव्य गोष्ठी में उर्दू का मिठास घोलते हुए मानवीय जीवन दर्शन को सामने रखा। इसी कड़ी में उड़ीसा के कवि जुगल किशोर षडंगी ने अपना गीत पेश किया। कोटा की कवियत्री डाॅ. लीला मोदी ने अपनी नवरचना पेश कर-बिखर जाएगे फूल सब आस के/धागे टूटेगे कृषको के विश्वास..’’ के माध्यम से किसानो की पीड़ा को रखा तो इसी कड़ी में जयपुर की हिन्दी राजस्थानी की साहित्यकार अभिलाषा पारीक ने राजस्थानी की सौरभ बिखेरते हुए अपनी रचना- ‘‘या कविता कठै सूं आई/सुना मन को कोई कोणौं/जद बा आवाज लगाई/या कविता बठै सू आई ?..’’
राष्ट्रीय स्तरीय इस बहुभाषा काव्य गोष्ठी को ई-तकनीक से संचालन इंजि. सुमित रंगा ने किया एवं सभी का आभार राजेश रंगा ने ज्ञापित किया।