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बीकानेरी होली : देर रात तक चली रम्मत, व्यासों की पारंपरिक गेर, हर्ष-व्यास पानी खेल मंगलवार कोसादुलगंज में अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई का विरोधलक्ष्मीनारायण रंगा प्रज्ञा-सम्मान डॉ. सैनी, जांगिड़ एवं हर्ष को अर्पितकार्रवाई : आधा दर्जन मिठाइयों के नमूने लिएजय बापू जय संविधान के तर्ज पर चलेगी कांग्रेस, निष्क्रिय अब नहीं चलेगा – चिरंजीवपत्रकारों का होली स्नेह मिलन समारोह, अनेक पत्रकारों का सम्मानहोली की रंगत में दिखे बीकाजी ग्रुप के निर्देशक फन्ना बाबूत्यौहारों के दौरान बरकरार रहे बीकानेर की गंगा जमुनी संस्कृति : जिला कलेक्टरहुक्काबार पर कार्रवाई : 10 हुक्के, शराब की बोतलें बरामदआवारा कुत्तों ने बच्ची पर किया हमला
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Thar पोस्ट न्यूज। होली की रंगत परवान पर है। बीकानेर के परकोटे में देर रात तक धमाल, चंग, रम्मत के आयोजन चल रहे है। बिस्सों के चौक में देर रात तक चली “नौटंकी शहजादी रम्मत” के दौरान “माता” के रूप में बच्चा मंच पर पहुंचा तो हजारों लोग उसकी एक झलक पाने के लिए उमड़ पड़े। रात करीब दो बजे शुरू हुई रम्मत सोमवार सुबह नौ बजे तक भी अनवरत चलती रही। हर साल की तरह इस बार भी रम्मत देखने के लिए परकोटे और परकोटे से बाहर के लोग पहुंचे। आस-पास के मोहल्लों तक में रास्ता जाम हो गया।

आशापुरा नाट्य एवं कला संस्थान की देखरेख में रविवार रात को देवी आशापुरा माता के बाल स्वरूप के रमणसा उस्ताद के अखाड़े में अवतरण के साथ ही रम्मत शुरू हो गई। बिस्सों के चौक में जैसे ही माता का दर्शन शुरू हुआ, आशापुरा मैया के जयकारे लगे। भक्तों ने मांक की स्तुति कर प्रसाद चढ़ाया।

रम्मत के इस लोकनाट्य में भाभी के ताने “देवर हकूमत आपकी हम पर सही न जाए, देते सो दीजौ मती मुझे परवाह, आपकी खिदमतगारी करेगी ब्याही नारी, जो तन्खा तुमरी पावे, अष्ट पहर, हर घड़ी पेशवाही में वोही आवे।” दरअसल, भाभी अपने देवर से कहती है कि वो उनकी हर बात नहीं मान सकती, आपकी पत्नी आपका वेतन लेगी, तो बात भी वो ही सुनेगी। इतनी बात सुनकर देवर घर से निकल जाता है। पंजाब के सियालकोट के राजा फूल सिंह की इस कहानी को मंच पर रात भर मंचित किया जाता है। भाभी की बात से नाराज भाई अब अपने बड़े भाई की बात भी नहीं सुनता और घर छोड़कर चला जाता है। वो मुल्तान पहुंचकर वहां की शहजादी को आकर्षित करता है, उससे शादी करने पहुंच जाता है।

ये हैं कलाकार

नौटंकी शहजादी में आदित्य नारायण पुरोहित ने आशापुरा माता, हर साल की तरह कृष्ण कुमार बिस्सा ने पंजाबी उर्फ फूल सिंह, इंद्र कुमार बिस्सा ने भाई, मनोज कुमार व्यास ने नौटंकी शहजादी, विकास पुरोहित ने मलिन का रोल किया। इसी तरह प्रेम गहलोत ने भाभी, रविंद्र बिस्सा ने कोतवाल, महेंद्र बिस्सा ने यार की भूमिका निभाई।

Thar पोस्ट। ईये गेवरियो रे काढ़ो लस लस टीको ,, के उद्घोष के साथ आज की लालाणी, कीकाणी व्यकास सहित झूठा पोता व्यास परिवारों की ओर से पारंपरिक गेर निकाली गई। यह गैर लालाणी व्यासो के चौक से शुरू होकर चौथानी ओझा चौक, बिनानी चौक, रघुनाथ मंदिर, तेलीवाड़ा होती हुई वापस की कीकाणी-लालाणी व्यासों के चौक में आकर संपन्न हुई। इस गैर की परंपरा के अनुसार तेलीवाड़ा में टका तक लेने के रस्म निभाते हैं। गैर में लोकगीतों और चंग की थाप के साथ रंगों की मस्ती देखने को मिली। दोपहर दो बजे लालाणी व्यासों के चौक से “बधावो ओ दिन नीको ईये, गेवर गेवरियों रै काढ़ो लस-लस टीको, चोखा चोखा चावल्ल लस लस टीको” जैसे पारंपरिक गीतों के साथ गेर रवाना हुई। उसके बाद अपने पारंपरिक गीत गाते लोग ललाट पर लंबा तिलक, सिर पर साफा, रंग-बिरंगी पगड़ी, हाथों में छड़ी और चंग की थाप पर झूमते हुए लोग इस सांस्कृतिक धरोहर को जीवंत कर रहे थे।तीरंदाजी के कोच गणेश लाल व्यास ने बताया कि पूर्व में एक जाति समुदाय की महिला से होली से पूर्व गैर निकालकर टका लेने के परंपरा थी मगर आजकल सर्राफा व्यवसायी चांदी का सिक्का प्रदान करते है। आज भी परंपरा को बखूबी निभाया गया।

लालाणी व्यास जाति की ओर से पंच जयनारायण व्यास, बल्लभ सरदार, मक्खनलाल व्यास, कानूलाल व्यास, उमेश कुमार व्यास, भंवरलाल व्यास, केदार व्यास, मदन गोपाल व्यास, शिव प्रकाश व्यास, हरि हर हिन्दू, श्याम सुंदर व्यास आदि ने भाग लिया। वहीं, कीकाणी व्यासों से नारायणदास व्यास, हरिनारायण व्यास मन्नासा, बृजेश्वर लाल व्यास, गणेशलाल व्यास, गोपाल व्यास, बल्लभ व्यास भरत, शिवकुमार व्यास सहित बड़ी संख्या में समाज के युवा शामिल हुए।

कल होगा हर्ष-व्यास पानी खेल

मंगलवार को हर्षों के चौक में हर्षों-व्यासों का पानी का खेल होगा। चमड़े की बनी डोलची में पानी डालकर हर्ष और व्यास एक दूसरे की पीठ पर चोट पहुंचाते हैं। पानी की तेज धार से होने वाली ये चोट जबरदस्त होती है लेकिन दोनों ही इसका जमकर लुत्फ उठाते हैं। हर्ष और व्यास जाति के बीच पूर्व में हुए एक झगड़े को खत्म करने के लिए इस खेल की शुरूआत की गई थी। ये परम्परा आज भी वैसे ही चल रही है।


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