Tp न्यूज़। भारत छोड़कर दुनिया के अन्य हिस्सों में बसने वाले लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है। भारत के प्रतिभाशाली लोग अब अमेरिका और यूरोप के देशों में सेवाएं दे रहे है। अनेक कारण है जिसके चलते वतन छोड़ने के लिए मजबूर है हमारा देश प्रतिभाशाली और बौद्धिकता के लिहाज से खोखला हो रहा है। ताजा आंकड़ों के अनुसार पूरी दुनिया में आप्रवासी भारतीयों की तादाद 1.80 करोड़ हो चुकी है।
आप्रवासी भारतीयों की भारी तादाद वाले अन्य देशों में आस्ट्रेलिया,कनाडा कुवैत ओमान पाकिस्तान कतर और ब्रिटेन हैं। चीन और रूस में भारतीय आप्रवासियों की मौजूदगी है। वर्ष 2000 से 2020 के बीच आप्रवासी भारतीयों की आबादी बड़े पैमाने पर है। विदेशों में रहने के मामले में भारत दुनियाभर में पहले पायदान पर पहुंच गया है। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2020 में देश से बाहर रहने वाले लोगों की संख्या 18 मिलियन यानी एक करोड़ अस्सी लाख है। भारत के सबसे ज्यादा लोग संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), अमेरिका और सऊदी अरब और यूरोप में रहते हैं।
संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक मामलों के विभाग (यूएन-डीईएसए) के जनसंख्या खंड की जारी रिपोर्ट ‘इंटरनेशनल माइग्रेशन 2020 हाईलाइट्स’ में कहा गया, ‘अंतरराष्ट्रीय आबादी का पलायन बहुत अलग होता है। दुनिया में सबसे ज्यादा प्रवासी भारतीय हैं और वे कई देशों में रह रहे हैं।’ वर्ष 2020 की बात करें तो भारत के एक करोड़ अस्सी लाख लोग दूसरे देशों में रह रहे थे। भारत के बाद मेक्सिको और रूस (दोनों 1.1 करोड़), चीन (एक करोड़) और सीरिया (80 लाख) के लोग दूसरे देशों में रहते हैं। दूसरे देशों में रह रहे भारतीयों की सबसे बड़ी आबादी संयुक्त अरब अमीरात (35 लाख), अमेरिका (27 लाख), सऊदी अरब (25 लाख) में रहती है। रिपोर्ट में कहा गया कि ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, कुवैत, ओमान, पाकिस्तान, कतर और ब्रिटेन में भी प्रवासी भारतीयों की अच्छी खासी आबादी है। हाल ही में केंद्र सरकार के सर्वे के अनुसार हमारे देश में केवल 5 प्रतिशत स्किल है।