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IMG 20231123 090506 15 साच रौ सूरज हर जुग में जीत्यो है-कमल रंगा Bikaner Local News Portal साहित्य
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Thar पोस्ट न्यूज़। प्रज्ञालय संस्थान एवं राजस्थानी युवक लेखक संघ द्वारा अपने मासिक साहित्यिक नवाचार के तहत प्रकृति पर केंद्रित ‘काव्य रंग-शब्द संगत’ की नवीं कड़ी नत्थूसर गेट बाहर स्थित लक्ष्मीनारायण रंगा सृजन सदन में आयोजित की गई।

अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार कमल रंगा ने कहा कि प्रकृति के बारे में हमारी अवधारणाएं सापेक्ष है, प्रकृति की कविताएं विचारधारा, साहित्यिक परंपराओं के साथ-साथ सामाजिक और सांस्कृतिक विचारों से प्रभावित होती है। कवि प्रकृति के करीब होता है उसका स्वाभाविक वातावरण उसके मन में कई भाव उत्पन्न करते है। रंगा ने आगे कहा कि आज नवीं कड़ी में हिन्दी, उर्दू एवं राजस्थानी के विशेष आमंत्रित कवि-शायरों ने ‘चन्द्रमा’ के विभिन्न पक्षों को उकेरते हुए काव्य रस धारा से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया, कविता, गीत, गजल, हाइकू एवं दोहों से सरोबार इस काव्य रंगत में शब्द की शानदार संगत रही।

img 20250125 wa00099075045711048292652 साच रौ सूरज हर जुग में जीत्यो है-कमल रंगा Bikaner Local News Portal साहित्य

मुख्य अतिथि वरिष्ठ शिक्षाविद् एवं कवि संजय सांखला ने कहा कि प्रकृति पर केन्द्रित काव्य वाचन अपने आप में महत्वपूर्ण नव प्रयोग है। ऐसे आयोजनों के माध्यम से नवाचार के साथ-साथ नव रचना वाचन होता है जिससे नगर की काव्य परम्परा को समृद्ध करने का एक सफल उपक्रम होता है। जिसके लिए आयोजक एवं संस्था साधुवाद की पात्र है। वरिष्ठ कवि कमल रंगा ने अपनी कविता-बौ साच रो सूरज हरमेस हर जूग में जीत्यो है……प्रस्तुत कर सूरज का मानवीयकरण करते हुए नये संदर्भ एवं नव बोध के साथ रखे। वहीं मुख्य अतिथि कवि संजय सांखला ने अपनी सूरज पर केन्द्रित नई कविता-बिना भानू उजियारा कहां से आए……प्रस्तुत कर सूरज के महत्व को रेखांकित किया।
इस महत्वपूर्ण काव्य संगत में श्रीमती इन्द्रा व्यास, डॉ कृष्णा आचार्य, जुगल किशोर पुरोहित, डॉ. नृसिहं बिन्नाणी, कैलाश टॉक, विप्लव व्यास, गिरिराज पारीक, यशस्वी हर्ष, इसरार हसन कादरी, हरिकिशन व्यास, मदन गोपाल व्यास, सुश्री अक्षिता जोशी वरिष्ठ शायर जाकिर अदीब एवं वरिष्ठ कवि शिवशंकर शर्मा की रचनाओं के माध्यम से सूरज को हिन्दी के सौन्दर्य उर्दू की मिठास एवं राजस्थानी की मठोठ के साथ प्रस्तुत किया गया।
वरिष्ठ कवियत्री इन्द्रा व्यास ने-लाल दुशाला ओढे आया…….प्रस्तुत कर सूरज के कई रूप हमारे सामने रखे तो वरिष्ठ कवयित्री डॉ कृष्णा आचार्य ने अपनी नवीन कविता के माध्यम से जीवन में गतिमान रहने का संदेश दिया। इसी क्रम में वरिष्ठ कवि जुगल किशोर पुरोहित ने अपनी नवीन कविता सूरज और जीवन के रिश्तों को उकेरा। इसी कड़ी मंे वरिष्ठ कवि डॉ नृसिंह बिन्नाणी ने अपने हाइकू-नई उम्मीदों संग/सूय्र उगता है……प्रस्तुत की तो कवि विप्लव व्यास ने अपनी रचना के माध्यम से सूरज के विभिन्न पक्षों को उकेरते हुए अपनी रचना रखी।
कवि कैलाश टॉक ने अपनी रचना-सूरज उगता लाल-करता है कमाल.. प्रस्तुत की तो वहीं कवि गिरिराज पारीक ने सूरज हे महान् कविता के माध्यम से सूरज के महत्व को रखा। कवि इसरार हसन कादरी ने अपनी रचना के माध्यम से सूरज के बहुरूपों का वर्णन किया। इसी कडी में युवा कवि यशस्वी हर्ष ने-हे भानू हाहाकार मचा दो शीर्षक की रचना के माध्यम से सूरज को अलग ढंग से देखा। इसी कडी में गीतकार हरिकिशन व्यास ने अपने गीत-सूरज थांरौ मुख देख्यां प्रस्तुत किया वहीं नव रचनाकार सुश्री अक्षिता जोशी सुरज और जीवन के उजाले से संबंध बताए। इस अवसर पर लोककलाकार मदन गोपाल व्यास ‘जेरी’ ने सूरज पर केन्द्रित अपनी रचना के माध्यम से सूर्य का हमारे शरीर पर क्या प्रभाव पडता है को रेखांकित किया। इस प्रकार सूरज के कई रंग आज की नई रचनाओं के माध्यम से श्रोताओं को आनन्दित कर गए।

कार्यक्रम के प्रारम्भ में वरिष्ठ इतिहासविद् डॉ फारूख चौहान ने स्वागत करते हुए बताया कि प्रज्ञालय संस्था गत साढ़े चार दशकों से भी अधिक समय से साहित्य, कला, संस्कृति आदि के क्षेत्र में गैर अनुदानित संस्था के रूप में अपने स्वयं के संसाधनों पर नवाचार एवं आयोजन करती रही है।

कार्यक्रम में भवानी सिंह, पुनीत कुमार रंगा, हरिनारायण आचार्य, अशोक शर्मा, नवनीत व्यास, सुनील व्यास, घनश्याम ओझा, तोलाराम सहारण, कार्तिक मोदी, अख्तर, कन्हैयालाल पंवार, बसंत सांखला आदि ने काव्य रंगत-शब्द संगत की रसभरी इस काव्य धारा से सरोबार होते हुए हिन्दी के सौन्दर्य, उर्दू के मिठास एवं राजस्थानी की मठोठ से आनंदित हो गए।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए युवा कवि गिरिराज पारीक ने बताया कि अगली दसवीं कड़ी फरवरी माह में ‘हवा’ पर केन्द्रित होगी एवं 12 कड़िया पूर्ण होने तक जो रचनाकार कम से कम आठ बार सहभागी रहेगा, उनकी रचनाएं चयन उपरान्त पुस्तक आकार में प्रकाशित प्रज्ञालय संस्थान कराएगा। आभार आशीष रंगा ने ज्ञापित किया।


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