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‘नारी चेतना’ को स्वर देती हैं डाॅ. रेणुका की कविताएं-डाॅ. मोहता
डाॅ. रेणुका व्यास ‘नीलम’ की दो पुस्तकें विमोचित

Tp न्यूज़। बीकानेर। ऊर्जा तथा जन स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी मंत्री डाॅ. बी. डी. कल्ला ने कहा कि राजस्थानी सशक्त एवं समृद्ध भाषा है। इसका अपना शब्दकोष है। राजस्थानी में सदियों से साहित्य रचा जा रहा है। इसे संविधान की आठवीं सूची में शामिल करवाने के लिए राज्य सरकार सतत प्रयासरत है।
डाॅ. कल्ला रविवार को मुक्ति संस्था की ओर नेहरु शारदा पीठ महाविद्यालय में डाॅ. रेणुका व्यास ‘नीलम’ के राजस्थानी उपन्यास ‘धिंगाणै धणियाप’ और काव्य संग्रह ‘कंवळी कूंपळ प्रीत री’ के विमोचन अवसर पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि राजस्थानी दस करोड़ लोगों की भाषा है। यह देश की पुरानी एवं शक्तिशाली भाषाओं में एक है। राज्य सरकार द्वारा राजस्थानी के विकास के लिए अनेक कदम उठाए गए हैं। उन्होंने कहा कि महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय में राजस्थानी का स्वतंत्र विभाग खोलने के प्रयास होंगे, जिससे युवाओं को राजस्थानी में अध्ययन के पर्याप्त अवसर मिल सकें।
डाॅ. कल्ला ने कहा कि डाॅ. रेणुका व्यास की पुस्तकें ‘नारी चेतना’ का स्वर देती हैं। वह धीर-गंभीर लेखन की प्रतिनिधि लेखिका हैं। इनकी रचनाएं गहराई लिए हैं। उन्होंने कहा कि हमारे समाज ने सदैव नारी को मां, बहिन और बेटी के रूप में सम्मान दिया है। नवरात्रि सहित विभिन्न अवसरों पर कन्या पूजन के माध्यम से हम महिला के प्रति अपना सम्मान प्रकट करते हैं। उन्होंने कहा कि डाॅ. रेणुका जैसी लेखिकाएं महिला जागृति को और अधिक संबल देंगी।
लोकार्पण समारोह के  विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ कवि-कथाकार राजेन्द्र जोशी ने कहा कि डाॅ. रेणुका व्यास चुनौती को स्वीकारने और इस पर खरा उतरने वाली लेखिका हैं। यह समाज में महिला और पुरूष को बराबरी पर स्थापित करने की बात करती है। इनकी कविताओं में ‘बीकानेरियत’ को नई पहचान मिली है। सभी कविताएं अलग-अलग विषयों को छुती हैं। उन्होंने कहा कि राजस्थानी भाषा को नई पहचान दिलाने के उद्देश्य से नए लेखकों का आगे आना अच्छे संकेत हैं।
मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए केन्द्रीय साहित्य अकादमी में राजस्थानी भाषा परामर्श मंडल के संयोजक मधु आचार्य ‘आशावादी’ ने कहा कि कविता और उपन्यास से ही लेखन की गहराई का पता चलता है। कविता नए शब्द रचती है और उपन्यास इन्हें स्थापित करता है। उन्होंने कहा कि प्रीत के नए-नए अर्थ इन कविताओं की मूल भावना है। यह कविताएं जड़ता को तोड़ती है। भाव और संवेदनाएं इन्हें विशिष्टता देती हैं।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए लोक कला मर्मज्ञ डाॅ. श्रीलाल मोहता ने कहा कि राजस्थानी उपन्यास लेखन का सुनहरा इतिहास है। शिवचंद भरतिया से शुरू हुई इस यात्रा ने डाॅ. रेणुका तक आते-आते एक सौपान को छुआ है। इसमें नारी की मनोदशा का चित्रण है। लेखिका सामाजिक ताने-बाने के इर्द-गिर्द दिखी है, लेकिन अपनी बात को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया है। उन्होंने कहा कि इनकी कविताएं भी गहरे अर्थों को लिए हुए हैं।
नेहरु शारदा पीठ महाविद्यालय के प्राचार्य डाॅ. प्रशांत बिस्सा ने स्वागत उद्बोधन दिया। डाॅ. रेणुका व्यास ने अपने सृजन यात्रा पर प्रकाश डाला तथा चुनिंदा कविताएं पेश की। इससे पहले अतिथियों ने इन पुस्तकों का विमोचन किया। राजस्थानी काव्य संग्रह ‘कंवळी कूंपळ प्रीत री’ पर सहायक निदेशक (जनसंपर्क) हरि शंकर आचार्य और उपन्यास ‘धिंगाणै धणियाप’ पर डाॅ. नीरज दैया ने पत्रवाचन किया। शिव शंकर व्यास ने आभार जताया। कार्यक्रम का संचालन डाॅ. नमामी शंकर आचार्य ने किया। इस दौरान नाॅर्थ वेस्टर्न रेलवे एम्पलाइज यूनियन के नवनिर्वाचित जोनल अध्यक्ष अनिल व्यास का अभिनंदन किया गया। इनके अभिनंदन पत्र का वाचन नदीम अहमद ‘नदीम’ ने किया।
इस अवसर पर शंकर सिंह राजपुरोहित, बुलाकी शर्मा, राजाराम स्वर्णकार, डाॅ. अजय जोशी, इंद्रा व्यास, हरि गोपाल हर्ष ‘सन्नू’, कमल नारायण आचार्य, डाॅ. प्रमोद चमोली, नंद किशोर साध, ओमप्रकाश सारस्वत, उमा शंकर आचार्य, इशरार हसन कादरी, हरीश बी. शर्मा, गौरी शंकर व्यास, डॉ. बिट्ठल बिस्सा, ऋतु शर्मा, नटवर आचार्य, सोहन लाल जोशी आदि मौजूद रहे।


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