Tp न्यूज़। राजस्थान विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय शिक्षक संघ (राष्ट्रीय) ने राज्य की महाविद्यालय शिक्षा में एक गुट को ट्रांसफर की ठेकेदारी देने तथा रुक्टा (राष्ट्रीय) से जुड़े शिक्षकों की आवाज को कुचलने के शासकीय प्रयासों का मुखर विरोध किया है।रुक्टा (राष्ट्रीय) के प्रदेश अध्यक्ष डॉ दिग्विजय सिंह ने बताया कि 31 दिसंबर 2020 को कॉलेज शिक्षा में जारी स्थानांतरण सूची में कांग्रेस विधायकों की अनुशंसा पर हुए स्थानांतरणों को लेकर अन्य विभाग के राज्य मंत्री के नेतृत्व में एक शिक्षक गुट ने जिस तरह बवाल मचाया , ऐसा राज्य की उच्च शिक्षा में पहली बार हुआ है। तथाकथित कांग्रेस समर्थित शिक्षक गुट के महामंत्री द्वारा ट्रांसफर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से विचार से जुड़े शिक्षकों के नाम होने का आरोप लगाकर पूरी स्थानांतरण सूची को रुकवाया गया। दुर्भाग्य से अन्य विभाग के राज्यमंत्री एवं मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा इसमें प्रमुख भूमिका निभाई गई। ऐसा तब है जबकि मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत बार-बार बदले की भावना से कार्य नहीं करने की बात सार्वजनिक रूप से कहते हैं, इससे उनकी कथनी और करनी में अंतर स्पष्ट हुआ है। 4 जनवरी 2021को देर रात्रि पुनः संशोधित सूची जारी की गई। जिसमें ऐसे शिक्षक जिन पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े होने का आरोप लगाया गया था, उनके पूर्व में स्थानांतरित स्थानों को बदलते हुए वर्तमान पदस्थापन स्थान (जो उनके गृह निवास से सामान्यतः 400 से 700 किलोमीटर दूर है) से भी 200-300 किलोमीटर आगे तक स्थानांतरित करने के आदेश जारी किए गए हैं।
रुक्टा (राष्ट्रीय) के महामंत्री डॉ नारायण लाल गुप्ता ने बताया कि राज्य की उच्च शिक्षा में यह ऐतिहासिक गिरावट का उदाहरण है। कल देर रात जारी सूची के माध्यम से शासन द्वारा प्रायोजित भय और आतंक का निर्माण किया गया है कि कांग्रेस से इतर विचार स्वीकार नहीं किया जाएगा। राज्य की उच्च शिक्षा का पूरी तरह कांग्रेसीकरण कर दिया गया है । उल्लेखनीय है कि महाविद्यालय शिक्षा में ढाई हजार से ज्यादा पोस्ट वेकेंट है । कई महाविद्यालय खाली पड़े हैं ऐसे में विधायक अपने क्षेत्र में महाविद्यालयों को सुचारू चलाने के लिए शिक्षकों के स्थानांतरण की अनुशंसा की थी । लेकिन एक शिक्षक गुट और अन्य विभाग के राज्यमंत्री के दबाव के चलते विधायकों के अनुशंसाओं को भी दरकिनार किया गया है। इस शिक्षक गुट के महामंत्री ने अपने प्रेस नोट में स्वयं स्वीकार किया है कि राज्य सरकार ने स्थानांतरण को उद्योग बना दिया है तथा भ्रष्टाचार खुलेआम चल रहा है।संगठन महामंत्री ने कहा कि उच्च शिक्षा विभाग की मूल समस्याओं पर सरकार का ध्यान नहीं है 90% महाविद्यालयों में प्राचार्य नहीं है। 95% महाविद्यालयों में शारीरिक शिक्षक और पुस्तकालय अध्यक्ष नहीं है। शिक्षकों की पदोन्नतियां लम्बे समय से लंबित चल रही है। सरकार द्वारा 97 नये महाविद्यालय खोलने का श्रेय तो लिया गया है लेकिन पहली बार इतिहास में ऐसा हुआ है कि इन महाविद्यालयों के लिए लिए किसी पोस्ट की वित्तीय स्वीकृति नहीं दी गई है। महाविद्यालय दरी पट्टी पर, दो कमरों में बिना शिक्षकों के चल रहे हैं । चुनाव घोषणा पत्र में किए गए वादे के विपरीत विश्वविद्यालयों/महाविद्यालयों की स्वायत्तता का हरण करते हुए शक्तियां आयुक्तालय और सचिवालय स्तर पर केंद्रित की गई हैं, प्राचार्य और कुलपति अधिकार विहीन बनाए जा रहे हैं। नारायण लाल गुप्ता