Thar पोस्ट न्यूज। किसी भू-भाग से विलुप्त हो चुकी प्रजाति को पुनः बसाना बहुत मुश्किल कार्य होता है। नए वातावरण, गंध, मौसम आदि अनेक कारकों में नए प्राणी को एडजस्ट करना मुश्किल होता है ऐसा मनुष्य के साथ ही नही बल्कि प्राणियों के साथ भी होता है। अफ्रीका महाद्वीप से भारत आए चीतों को यहां आए दो साल पूरे हो गए हैं। हालांकि अभिभावक चीतों को भारत कोई खास रास नही आया लेकिन उनके शावक तेजी से बढ़ रहे है। विदेश से लाये चीतों की तुलना में भारत मे पैदा हुए चीते बढ़ रहे हैं। मध्य प्रदेश के कुनो नेशनल पार्क में जहां यह चीते भारत के वातावरण में ढलते हुए अब रहना सीख गए हैं, वहीं इस प्रजाति ने अब अपने इस नए घर में आबादी बढ़ाना भी शुरू कर दिया है। दरअसल, चीतों की पहली खेप पीएम मोदी के जन्मदिन के मौके पर 17 सितंबर 22 को भारत पहुंची थी, जिसमें आठ चीते थे। वहीं, दूसरी खेप अगले साल फरवरी 2023 में साउथ अफ्रीका से आई थी, जिसमें 12 चीतों को लाया गया था।
अब हुए 20 चीते
दो सालों में अब तक 20 चीते भारत आ चुके हैं। इनमें से अब 12 चीते बचे हैं। आठ चीतों की मौत हो गई, जबकि इन दो सालों में यहां 17 शावकों ने भी जन्म लिया। इनमें से पांच की मौत हो गई। इन तमाम विपरीप परिस्थितियों के बाद भी संतोष की बात है कि कुनो में चीतों की आबादी बढ़ रही है। फिलहाल ये सभी चीते बाड़े में हैं। हालांकि खुले जंगल में छोड़े गए चीते पवन की डूबने के चलते हुए मौत के बाद अभी प्रशासन इन्हें खुले जंगल में छोड़ने का फैसला नहीं ले पाया है। लेकिन सूत्रों के मुताबिक, धीरे-धीरे इन्हें खुले जंगल में छोड़ा जाएगा। चीतों को आमतौर से घूमने फिरने के लिए कम से कम 50 किमी का इलाका चाहिए होता है।
केंद्रीय पर्यावरण, वन व जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि ‘प्रोजेक्ट चीता’ के दो साल चुनौतीपूर्ण रहे हैं। इसमें चीतों के आवास समायोजन से लेकर शावकों का जीवन बचाने तक कई दिक्कतों को सफलतापूर्वक दूर किया गया। यादव ने सोशल मीडिया पर लिखा कि आज जब दुनिया इन चीता शावकों को उनके प्राकृतिक आवास में फलते-फूलते देख रही है, तब हम न केवल उनके जीवित रहने की खुशी मना रहे हैं, बल्कि इन बड़े प्रयासों में शामिल सभी लोगों के समर्पण का भी जश्न मना रहे हैं। हालांकि उन्होंने इस कोशिश को हमारे पारिस्थितिकी तंत्र में संतुलन बहाल करने की शुरुआत भर बताते हुए कहा कि आगे और भी कई मील के पत्थर स्थापित करने हैं।
अन्य राज्य भी तैयार
सरकार इस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने जा रही है, जिसमें कुनो के अलावा चीतों के लिए दूसरा बसेरा भी तैयार किया जा रहा है, जहां चीतों की अगली खेप लाने की तैयारी हो रही है। सूत्रों के मुताबिक, इसके तहत गांधीसागर वन्यजीव अभयारण्य में चीतों के अगली खेप को लाने संबंधी तैयारी जोरों पर है। वहीं गुजरात में बन्नी घास के मैदानों में एक संरक्षण प्रजनन केंद्र स्थापित कर रहे है। उल्लेखनीय है कि भारत से 1952 में इन्हें विलुप्त घोषित किया गया था।