Tp न्यूज़। सादूल राजस्थानी रिसर्च इन्स्टीट्यूट बीकानेर के तत्वावधान में इटली मूल के राजस्थानी भाषा के शोधार्थी डॉ एल पी तैस्सितोरी की 133 वीं जयंती के अवसर पर राजकीय संग्रहालय परिसर में स्थित तैस्सितोरी की प्रतिमा स्थल पर पुष्पांजली एवं राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति के क्षेत्र में उनके द्वारा किये गये कामों पर चर्चा की गयी ।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि शहर जिला कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष एडवोकेट हीरालाल हर्ष थें तथा कार्यक्रम की अध्यक्षता कवि – कथाकार राजेन्द्र जोशी ने की ।
डॉ एल पी तैस्सितोरी की प्रतिमा को पुष्पांजली उपरांत बोलते हुए मुख्य अतिथि एडवोकेट हीरालाल हर्ष ने कहा कि राजस्थानी भाषा के क्षेत्र में उन्होंने अविस्मरणीय काम किया , हर्ष ने कहा कि इटली के उदीने नगर में जन्मे डॉ एल पी तैस्सितोरी की राजस्थानी भाषा के प्रति प्रेम एवं अपनत्व को सदैव रेखांकित किया जाता है, उन्होंने कहा कि राजस्थानी भाषा एक समृद्ध भाषा है ।
हर्ष ने कहा कि राजस्थानी भाषा दुनिया के प्रत्येक क्षेत्र में बोली जाने वाली विश्व की समृद्ध भाषाओं में एक है, वर्तमान में कोई ऐसी जगह नहीं है जहां राजस्थानी न रहता हो । उन्होंने कहा कि विश्व में लगभग दस करोड़ से अधिक लोग राजस्थानी भाषा बोलने वाले है ।
राजस्थानी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में अविलम्ब शामिल करने की मांग करते हुए हर्ष ने कहा कि राजस्थान विधानसभा ने वर्ष 2003 में ही सर्वसम्मति से संकल्प पारित कर केन्द्र सरकार को भेज दिया था लेकिन लंबे समय से भारत सरकार उस प्रस्ताव की अनदेखी कर रही है, जो राजस्थानियों का अपमान व उसके हक के साथ कुठाराघात है । उन्होंने कहा कि राजस्थानी भाषा प्रेम एवं अपनत्व की संस्कृतिनिष्ठ भाषा है, जिसके पास अपना व्याकरण व शब्दकोश के साथ विपुल मात्रा में साहित्य उपलब्ध है । जिसके कारण ही डॉ एल पी तैस्सितोरीने राजस्थानी भाषा में उल्लेखनीय योगदान दिया ।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार कवि कथाकार राजेन्द्र जोशी ने कहा कि संस्था के तत्वावधान में राजस्थानी भाषा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने वाले महानुभाव को हर वर्ष डॉ एल पी तैस्सितोरी अवार्ड दिया जाता है इस वर्ष के अवार्ड की घोषणा शीघ्र ही की जाएँगी ।
जोशी ने राजस्थान के सभी निर्वाचित लोकसभा सदस्यों का आह्वान किया है की वे प्रदेश अस्मिता की इस महत्वपूर्ण माँग को पुरजोर तरीके से केन्द्र सरकार के सम्मुख उठाये तथा इसी लोकसभा सत्र में राजस्थानी को मान्यता दिलाने का दबाव बनाए ।
जोशी ने कहा कि राजस्थानी की रचनाओं में जीवन-अनुराग व जीवन दर्शन के साथ यथार्थ का सच मौजूद है जो अभिधा और व्यंजना रूप में प्रभावी रूप से अभिव्यक्त हुआ है । उन्होने कहा कि राजस्थानी नव काव्य का अपना एक मुहावरा है जो अन्य भारतीय भाषाओं के साथ उसे सक्षमता से खड़ा करता है । ऐसी भाषा को मान्यता नहीं मिलना अधिकारों के हनन करना है ।
जोशी ने कहा कि राजस्थानी भाषा दस करोड़ से अधिक लोगों की मातृभाषा है तथा आजादी से पहले राजकाज, कोट- कचहरी की भाषा रही है, जोशी ने कहा कि 1200 सौ वर्षों से भी अधिक प्रभावी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में तुरंत शामिल किया जाना चाहिए, उन्होंने कहा कि राजस्थानी भाषा प्रेम एवं अपनत्व की भाषा होने के कारण अनेक शब्द मौजूद हैं ।
कार्यक्रम में वरिष्ठ साहित्यकार राजाराम स्वर्णकार ने कहा कि राजस्थानी भाषा के पास वह चारो तत्व उपलब्ध है जो किसी भी भाषा में होने चाहिए जैसे शब्दकोश, व्याकरण, लिपि और समृद्ध साहित्य, ये चारों दस करोड़ से अधिक लोगों की वाणी में भी है इसलिए भारत सरकार राजस्थानी भाषा को तुरंत संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करे ।
वरिष्ठ संगीतज्ञ डॉ कल्पना शर्मा ने कहा कि राजस्थानी भाषा समय के साथ आगे बढ़ी है, उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में समाज की सहभागिता भी राजस्थानी भाषा के साथ है डॉ शर्मा ने कहा कि राजस्थानी संस्कृति एवं भाषा हजारों वर्षों से निरंतर संस्कार देने का काम करती है उन्होंने डॉ एल पी तैस्सितोरी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर विस्तार से प्रकाश डाला ।
कार्यक्रम में सहायक निदेशक अभियोजन चतुर्भुज शर्मा ने भी सम्बोधित किया । अनेक लोगों ने पुष्पांजली अर्पित की।