Thar पोस्ट न्यूज़। राजस्थानी भाषा के विद्वान कीर्तिशेष गोरधन सिंह शेखावत राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति के समर्पित एवं संवेदनशील पुरोधा थे। उन्होंने कई दशकों तक राजस्थानी साहित्य को अपनी कलम से कई नव आयाम दिए। ऐसे राजस्थानी के सपूत असामयिक निधन पर प्रज्ञालय संस्थान एवं राजस्थानी युवा लेखक संघ द्वारा उन्हें नमन-स्मरण करते हुए आज सांय नत्थूसर गेट बाहर स्थित लक्ष्मीनारायण रंगा सृजन-सदन में भावनात्मक शब्दांजलि अर्पित की।
शब्दांजलि अर्पित करते हुए हिन्दी राजस्थानी के वरिष्ठ साहित्यकार राजेन्द्र जोशी ने कहा कि कीर्तिशेष शेखावत आधुनिक राजस्थानी के सशक्त हस्ताक्षर थे। उन्होंने राजस्थानी आलोचना विधा में भी महत्वपूर्ण कार्य किया। जो उल्लेखनीय है। जोशी ने आगे कहा कि नई पीढी को गोरधन सिंह शेखावत से प्रेरणा लेनी चाहिए।
राजस्थानी के वरिष्ठ साहित्यकार एवं केन्द्रीय साहित्य अकादेमी नई दिल्ली की मुख्य राष्ट्रीय एवं अनुवाद पुरस्कार से सम्मानित कमल रंगा ने कहा कि स्व. शेखावत आधुनिक राजस्थानी कविता के आगीवाण थे। उन्हांेने राजस्थानी कविता का नया मुहावरा गढ़ा और उन्हांेने राजस्थानी कविता को कई आधुनिक रंग देते हुए राजस्थानी कविता को भारतीय भाषाओं में एक अलग पहचान दिलाई। रंगा ने आगे कहा कि शेखावत कुशल संपादक थे। उन्होंने राजस्थानी की प्रतिनिधि पत्रिका ‘जागती जोत’ को सम्पादित करते हुए कई महत्वपूर्ण अंक निकाले।
शिक्षाविद् एवं कवि संजय सांखला ने उन्हें नमन करते हुए कहा कि उन्होंने एक आदर्श शिक्षक के रूप में भी अपनी सेवाएं देते हुए समाज में अपनी भूमिका का निवर्हन किया। इसी कड़ी में युवा कवि गिरिराज पारीक ने कहा कि श्ेाखावत ने खासतौर से शेखावटी साहित्य, संस्कृति और कला की अकादमी स्थापित कर उसके संरक्षण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निवर्हन किया।
कार्यक्रम का संयोजन करते हुए वरिष्ठ शिक्षाविद् राजेश रंगा ने कहा कि वे राजस्थानी के सच्चे सपूत थे और राजस्थानी भाषा मान्यता के प्रबल समर्थक थे।
शेखावत को नमन एवं स्मरण करते हुए संस्कृतिकर्मी भवानीसिंह, समाजसेवी मांगीलाल भद्रवाल, विष्णु शर्मा, आशीष रंगा, नवनीत व्यास ने उन्हें राजस्थानी भाषा का समर्पित योद्धा कहा। अंत में सभी ने दो मिनट का मौन रखकर उन्हें श्रृद्धांजलि अर्पित की।