Thar पोस्ट, न्यूज। राजस्थान विधानसभा चुनाव में बीकानेर पश्चिम की सीट सर्वाधिक चर्चा में है। माहौल चुनावी रंगों से सराबोर है। कांग्रेस से डॉ बी डी कल्ला प्रत्याशी है। जबकि बीजेपी ने जेठानंद व्यास पर भरोसा जताया है। यह सीट बीकानेर की सभी सीटों से अलग है। यहां अपनी परम्परा है एक संस्कृति है। परकोटे में यहां रहने वाले लोग पूरे शहर को अपने घर का आंगन ही मानते है। पार्टी की विचारघारा अलग अलग है लेकिन रिश्तेदारियां उलझी हुई है इसलिए मतभेद है लेकिन मनभेद कम ही है। यह एक दिलचस्प पहलू है कि धर्म व जातियों में ही नही बल्कि घरों में भी वोटों का ध्रुवीकरण है। अनेक घर ऐसे है जहाँ बीजेपी व कांग्रेस दोनों को वोट पड़ेंगे। इसकी वजह है आपसी रिश्तेदारी। बीकानेर की अन्य सीटों पर जहां रात के समय लोग थक हार कर नींद में गाफिल हो चुके होते है वहीं इस सीट पर लोग अपने घर से बाहर निकलते है। फिर शुरू होता है अपने प्रत्याशी के समर्थन में प्रचार का शोर। देर रात यहां खाने पीने की दुकानें खुली रहती है। इसमें गर्म कचौरी, समोसा, ब्रेड, दूध चाय पकौड़ी की दुकानें शामिल है। बारहगुवाड़, जस्सूसर गेट, दम्माणी चौक, नत्थूसर गेट, आचार्य चौक आदि नाईट टूरिज्म के भी केंद्र बन चुके है। यहां से कौन जीतेगा यह तो मतगणना के बाद ही पता चल सकेगा। दोनों प्रत्याशियों के अपने अपने समीकरण है। हालांकि पिछले कुछ वर्षों से कुछ बूथों पर मतदान के दिन तनातनी होने लगी है लेकिन समझाइश से मामला शांत हो जाता है। इन दिनों चुनाव के रंग में माहौल इस कदर रम चुका है कि यहां महिलाओं द्वारा तुकबंदी गाये जाने वाले गीत भी वायरल लोकप्रिय हो रहे है। अमूमन शादियों में गाए जाते है। फ़ेसबुक, व्हाट्सऐप पर भी वाकयुद्ध जारी है परकोटे में सिंधी भाषा का कुछ पुट देखने को मिलता है। जैसे यहाँ महेश को मेशु, व्यास को व्यासू, आचार्य को अच्चा, जाइश खाइस आदि बोलते है ऐसा प्रायः सिंधी भाषा मे बोलते सुना जाता है खैर भाषा एक अलग विषय है। कहते है कि होली या तो ब्रज की या फिर बीकानेर की। इन दिनों कुछ ऐसा ही माहौल बना हुआ है। दिलचस्प यह है कि यह शानदार माहौल इस बार यहीं पर नहीं थमेगा। आने वाले समय मे शादियों का सीजन है। पुष्करणा समाज का सामूहिक सावा है। इसके बाद होली व लोकसभा के चुनाव है। बुजुर्गों के साथ युवा, बच्चे, महिलाएं युवतियां इस चुनावी महायज्ञ में शामिल है। जितेंद्र व्यास ‘लखावत‘