Thar पोस्ट। मेरा जीवन ही मेरा संदेश है “
राजकीय डूंगर महाविद्यालय की कलाम गैलरी द्वारा दर्शनशास्त्र विभाग में गांधी जयंती के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त करते हुए प्रोफेसर राज नारायण व्यास ने कहा कि यदि हम महात्मा गांधी के संदेश ” मेरा जीवन ही मेरा संदेश है ” को अपने व्यवहार व जीवन में उतारते हैं व अपने आचरण को ठीक उसी प्रकार रखते हैं जैसा हम विचार करते हैं, व्यक्त करते हैं या जीते हैं तो यह इमानदारी उस आदर्श को छूने की कोशिश होगी जिसकी और गांधी संकेत करते हैं l अहिंसा को केवल सिद्धांत मात्र न मानकर इसे अपने व्यवहार में उतारे साथ ही ” वैष्णव जन तो तेने कहिए जो पीड़ पराई जाने रे ” का वर्णन करते हुए कहां कि यदि हम में सबकी संवेदनाओं की अनुभूति वह उनके प्रति सजगता का भाव है तो यही गांधी को सच्ची श्रद्धांजलि व वास्तविक अनुसरण होगा l डॉ साधना भंडारी ने महात्मा गांधी की नेतृत्व शैली का वर्णन करते हुए कहा कि गांधी ने अपने लक्ष्य प्राप्ति की दिशा में चलना आरंभ किया व समय व परिस्थिनुसार अपनी शैली को परिवर्तित किया व अंततः अपने उद्देश्य में सफल रहे l गांधी की नेतृत्व शैली में टीम भावना बनाने रखने व संघर्ष प्रबंधन की अद्भुत क्षमता थी उन्होंने अपने जीवन शैली में न्यूनतमवाद को अपनाया l इस अवसर पर कॉमर्स, लोक प्रशासन, अंग्रेजी, उर्दू व राजनीति विज्ञान विभाग के संकाय सदस्य उपस्थित रहे ।