ताजा खबरे
बीकानेर में 5 लाख रुपये का कपड़ा चोरीश्याम सुंदर को पीएच.डीनागौरी तेलियान समाज का सामूहिक विवाह कलकेसरी सिंह बारहठ का त्याग, बलिदान युवाओं के लिए प्रेरक – प्रोफेसर डॉ. बिनानीभाजपा नेताओ ने आतिशबाजी कर जश्न मनायाबीकानेर राजपरिवार विवाद में न्यायाधीश, बीकानेर द्वारा मौका कमिश्नर की नियुक्तिबीकानेर :10 रुपए का सिक्का डालने से निकलेगा कपड़े का थैलामहाराष्ट्र में बीजेपी गठबंधन की आंधी, झारखंड में जेएमएम, राजस्थान में टक्करराजस्थान : जिंदा व्यक्ति का पोस्टमार्टम किया, डीप फ़ीज़र में रखा, फिर चलने लगी सांसेंडॉ. नीरज के पवन आज बीकानेर में, बीकानेर संभाग में कार्यों का निरीक्षण करेंगे
IMG 20201004 005550 14 बीकानेर में महिलाओं ने रावण को इसलिए पीटा ? एक रोचक सच्चाई Bikaner Local News Portal दिल्ली, बीकानेर अपडेट
Share This News

Tp न्यूज। रामलीला का मंचन न केवल बीकानेर बल्कि संभाग के अन्य जिलों में भी आस्था व भक्ति के साथ किया जाता है। बीकानेर संभाग में अनेक स्थानों पर रात-रात पर मंचन होता है और दर्शक भी श्रद्धा के साथ जुटे रहते हैं। बीकानेर शहर व ग्रामीण क्षेत्रों के अलावा श्रीगंगानगर, सूरतगढ़, हनुमानगढ़, चूरू में भी रामलीला  का आयोजन किया जाता है। इसके कलाकार गणेश, शिव परिवार, सीता-राम, लक्ष्मण, हनुमान, रावण, मेघनाद, कुम्भकरण नारद आदि पात्रों की भूमिका निभाते हैं। अनेक स्थानों पर रामलीला का मंचन लोकप्रिय रहा है। बीकानेर के कलाकारों से जुड़ी एक घटना मंचन के ढाई दशक बाद भी गुदगुदाती है। इसके चर्चे आज भी वरिष्ठ कलाकार करते हैं। रेलवे वर्कशॉप में कार्य करने वाले बीकानेर के कलाकार धूड़दास स्वामी अपने स्थानान्तरण की वजह से सूरतगढ़ थे। वे यहां रामलीला क्लब की ओर से होने वाली रामलीला में निरन्तर हिस्सा लिया करते थे। अच्छी कदकाठी के कारण वे रावण ही बनते थे। सूरतगढ़ मेंं मंचित होने वाली रामलीला दूर-दूर तक प्रसिद्ध थी, इसका कारण था इसका बेहतरीन प्रस्तुतिकरण। मंचन कुछ इस तरह होता था कि इसमें मोटा बिजली का तार व कृत्रिम विमान (उडऩ खटोले) का इस्तेमाल किया जात था। बिजली के मोटे तार व लोहे की गिरारी की व्यवस्था कुछ ऐसे होती थी कि दृश्य ही जीवन्त हो जाता था। इसके लिए रामलीला के कलाकार कई महीनों तक रिहर्सल भी करते थे।
रात के अंधेरे में जीवन्त दृश्य
सभी कलाकारों की भावना मंचन से जुड़ी होती। अपने स्तर पर संसाधन जुटाए जाते थे। दृश्य के मंचन के दौरान लाइटें बंद कर दी जाती थी। मोटामोट कहें तो व्यवस्था कुछ ऐसी कर दी जाती थी कि रामभक्त हनुमान आकाश में उड़ते दिखाई देते थे। गुरुड़ भी उड़ता दिखता था। हनुमानजी के उडऩे की व्यवस्था ऐसी रहती थी कि तार पर एक चौकोर पाटा लगाया जाता, उसके ऊपर लाल कपड़ा लपेटा जाता। इसे पर हनुमानजी लेट जाते और फिर धीरे-धीरे आगे बढ़ते। स्पीड अधिक नहीं बढ़े इसके लिए हनुमानजी के पैर मेंं रस्सा बांध दिया जाता। धीरे-धीरे रस्से को छोड़ा जाता। दृश्य मंचन के दौरान रोशनी केवल बजरंग बली पर ही रहती। इस तरह सभी तामझाम के साथ दृश्य को जीवन्त किया जाता। कुछ ऐसे दृश्य की व्यवस्था सीता हरण दृश्य के लिए की गई।
समानान्तर मंचन व्यवस्था
सीता हरण दृश्य को जीवन्त बनाने के लिए समान्तार क्रम मेंं तारों की व्यवस्था की गई। इसमें एक तार पर सीता व रावण को होना था जबकि दूसरे तार पर गरुड़ की व्यवस्था की जानी थी। रावण  व गरुड़ के बीच लड़ाई होनी थी। रामलीला का मंचन शुरू हुआ। रावण व सीता के बीच चले संवाद के चलते दर्शक भाव विभोर हो चुके थे। मैदान दर्शकों से भरा था एक ओर बड़ी संख्या में महिलाएं बैठी थी। मंचन के दौरान सीताजी लक्ष्मण रेखा को पार करती है रावण उसे उठाकर विमान में बैठकर आकाश की ओर उड़ता है। अंधेरी रात में दृश्य जीवन्त दिखाई दे रहा था। विमान दर्शकों के ऊपर से उड़ते हुए आगे बढ़ रहा था। पीछे से गरुड़ बना पात्र भी आगे बढऩे की तैयारी में था। रावण का विमान भाव विभोर दर्शकों केे ऊपर से होते हुए उड़ा। लेकिन तार संयोजन में कमी रहने से विमान दर्शकों के पास नीचे आ गया। भावुक हो चुकी महिलाओं ने रावण को बीच मेंं ही रोक लिया। सभी लोग अवाक रह गए। तभी महिलाओं ने एक साथ चप्पलों से रावण की पिटाई शुरू कर दी। रावण का मुकुट नीचे गिर गया। पोशाक फट गई। इसके बाद मैदान में हंगामा खड़ा हो गया। रावण से लडऩे के लिए गरुड़ अपनी बाजी का इंतजार करते रह गया। इस तरह बीकानेर के कलाकारों का रामलीला मंचन अमर हो गया। इसके चर्चे आज भी लोग किया करते है।


Share This News