Thar पोस्ट। कोहिनूर हीरा हमेशा से विवादों के केंद्र में रहा है। इसे अपशकुन से भी जोड़ा गया है। लेकिन आने वाली छह मई को जब किंग चार्ल्स तृतीय और उनकी पत्नी कमिला के नए ब्रिटिश राजा और रानी के रूप में ताजपोशी होगी तो शाही परिवार विवादों से दूर रहना चाहता है. यही वजह है कि शाही परिवार ने कमिला के ताज में कोहिनूर हीरे का इस्तेमाल ना करने का फैसला किया है। समकालीन इतिहास में ऐसा पहली बार होगा जब महारानी के ताज में बदलाव किए जाएंगे और कोहिनूर के बिना उसे पहना जाएगा. हालांकि दिवगंत महारानी के गहनों में से कई इसमें इस्तेमाल किए जाएंगे.ब्रिटिश महारानी के ताज में कोहिनूर हीरा दशकों से लगा हुआ है. दुनिया के सबसे बड़े और कीमती हीरों में शुमार इस हीरे पर लंबा विवाद है और भारत इसे वापस मांगता रहा है. शाही परिवार नहीं चाहता था कि ताजपोशी के वक्त भारत के साथ किसी तरह का कूटनीतिक विवाद हो।कोहिनूर दुनिया का सबसे शुद्ध या सबसे बड़ा हीरा तो नहीं है लेकिन इसे दुनिया के सबसे विवादास्पद हीरों में से एक कहा जाता है. इसके उद्गम को लेकर बहुत तरह के किस्से-कहानियां मशहूर हैं लेकिन बहुत से इतिहासकार इस बात को लेकर सहमत हैं कि इस हीरे को 1739 में ईरानी शासक नादिर शाह से भारतीयों ने छीना था। लूटपाट व युद्ध के दौरान कोहिनूर के मालिक बदलते रहे और 1846 में जब पंजाब पर अंग्रेजों की जीत हुई तब यह तत्कालीन ब्रिटिश गवर्नर जनरल के पास आ गया. हालांकि तब लॉर्ड डलहौजी ने जिस लाहौर संधि के तहत पंजाब को हासिल किया था, वह पंजाब के महाराजा दलीप सिंह के साथ हुई थी संधि के वक्त था. उस समय दलीप सिंह की आयु मात्र पांच साल थी.जिन हालात में यह हीरा अंग्रजों के पास गया, उसे लेकर हमेशा विवाद रहा है और भारत इस वापस लौटाने की मांग करता रहा है. पाकिस्तान और अफगानिस्तान ने भी इस हीरे पर दावे किए हैं। कहते है जहां कोहिनूर वहीं विवाद व अपशकुन।