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IMG 20230119 203129 भारत में आएगी कैंसर जैसी बीमारियों की सुनामी ! अमेरिका से जारी हुई डराने वाली रिपोर्ट Bikaner Local News Portal अंतरराष्ट्रीय
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Thar पोस्ट, न्यूज। बीकानेर सहित अन्य जिलों में नहर ने लोगों की किस्मत तो बदली है लेकिन कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी में धकेल दिया है। पंजाब, हरियाणा व राजस्थान के कई जिले इसकी चपेट में है। बठिंडा से बीकानेर आने वाली ट्रेन का तो नामांकरण तक कैंसर ट्रैन हो गया है। बदलता परिवेश, जिंदगी की आपाधापी के साथ आधुनिकीकरण, रेडिएशन के उपकरणों के बीच जीवन, बीमारियां, अनियमित दिनचर्या बढ़ता संक्रमण आदि अनेक कारण है। इस बीच अमेरिका से जारी एक रिपोर्ट चर्चा में है। रिपोर्ट के अनुसार कैंसर से बचना है तो तंबाकू, शराब को पूरी तरह छोड़ना होगा. डाइट और इन्फेक्शंस का ध्यान रखना होगा. वर्तमान में कैंसर होने के यह सब सबसे सामान्य कारण हैं।भारत को लेकर अमेरिकी ऑन्कोलॉजिस्ट डॉक्टर जेम अब्राहम ने जो दावा किया है, शायद वह सभी को चिंता में डालने के लिए काफी है. डॉक्टर अब्राहम का दावा है कि जल्द ही भारत में कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों की बाढ़ आने वाली है। ऑन्कोलॉजिस्ट ने इसके पीछे ग्लोबलाइजेशन, बढ़ती अर्थव्यवस्था, बूढ़ी हो रही जनसंख्या और लाइफस्टाइल में बदलाव जैसे कुछ बड़े कारण बताए हैं. डॉक्टर अब्राहम का कहना है कि जिस तरह से गंभीर बीमारियां भारत की ओर बढ़ रही हैं, इसे रोकने के लिए यह बेहद जरूरी है कि मेडिकल तकनीक को बढ़ावा दिया जाए. अमेरिका के ओहियो में क्लीवलैंड क्लिनिक में डिपार्टमेंट ऑफ हेमेटोलॉजी एंड मेडिकल ऑन्कोलॉजी के प्रमुख डॉक्टर जेम अब्राहम ने इस सदी में कैंसर केयर को री शेप करने के लिए 6 जरूरी ट्रेंड बताए. इनमें शुरुआती तीन ट्रेंडों में कैंसर रोकथाम के लिए वैक्सीन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, डाटा डिजिटल तकनीक को बढ़ावा और लिक्विड बायोप्सी शामिल है।ग्लोबल कैंसर ऑब्जर्वेटरी (Globocan) के अनुसार, साल 2040 तक विश्व में कैंसर का हाहाकार हो जाएगा. 2040 तक विश्व में कैंसर मरीजों की संख्या साल 2020 के मुकाबले 47 फीसदी बढ़कर दो करोड़ अस्सी लाख प्रति वर्ष तक पहुंच जाएगी. साल 2020 में कैंसर के करीब एक करोड़ 80 लाख मामले सामने आए थे और करीब एक करोड़ लोगों की विश्व में इसी बीमारी की चपेट में आकर मौत हो गई थी.महिलाओं को होने वाला ब्रेस्ट कैंसर मौजूदा समय में फेफड़ों के कैंसर को पीछे छोड़कर सबसे आगे आ गया है. हालांकि, अभी तक सबसे ज्यादा मौतें फेफड़ों के कैंसर की वजह से ही हो रही हैं।


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