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IMG 20220725 102544 1 सावधान ! ऐसे फैलता है मंकीपॉक्स, बचाव ही उपचार, WHO घोषित कर चुका है वैश्विक हेल्थ इमरजेंसी Bikaner Local News Portal अंतरराष्ट्रीय
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Thar पोस्ट, न्यूज राजस्थान। दुनिया के कई देशों में मंकीपॉक्स तेज़ी से फैल रहा है। भारत मे भी रोगी मिले हैं। यह एक संक्रामक रोग है, जो संक्रमित व्यक्ति या जानवर के संपर्क में आने से होती है। जानकारों के अनुसार मंकीपॉक्स का संबंध ऑर्थोपॉक्सवायरस परिवार से है, जो चेचक की तरह दिखाई देती है। इसमें वैरियोला वायरस भी शामिल है। इस वायरस के चलते स्मॉल पॉक्स यानी छोटी चेचक होती है। जानवरों में मंकीपॉक्स पहली बार साल 1958 में दिखाई दी थी। जब बंदरों में मंकीपॉक्स का संक्रमण पाया गया था। वहीं, साल 1970 में पहली बार इंसान में मंकीपॉक्स कॉन्गो के एक बच्चे में पाया गया था। जबकि, साल 1980 में चेचक उन्मूलन के बाद यह गंभीर समस्या बनकर उभरा है। आइए, इस रोग के बारे में सबकुछ जानते हैं-

मंकीपॉक्स से पीड़ित जानवर या व्यक्ति के शरीर से निकले संक्रमित फ्लूइड के संपर्क में आने, संक्रमित जानवर के काटने, छूने आदि कारणों से मंकीपॉक्स फैलता है। खासकर, चूहों, गिलहरियों और बंदरों द्वारा यह अधिक फैलता है। वहीं, मंकीपॉक्स से पीड़ित व्यक्ति के आसपास रखी चीजों को छूने से भी मंकीपॉक्स का खतरा रहता है। इसके अलावा, ऐसे व्यक्ति के साथ शारीरिक संबंध बनाने से भी मंकीपॉक्स होता है, जो पहले से पीड़ित है।

मंकीपॉक्स के उपचार

वर्तमान समय में मंकीपॉक्स का कोई इलाज नहीं है। मंकीपॉक्स होने पर चेचक का टीका लगवाएं। डॉक्टर के संपर्क में रहें।


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