Thar पोस्ट, बीकानेर। बीकानेर सहित पश्चिमी राजस्थान में एक स्लोगन हाल ही के वर्षों में तेज़ी से लोकप्रिय हुआ है। -यदि पास में हो कांसा तो फिर क्यों जाएं हम नासा! कोरोना कुछ मंद पड़ने के बाद द डेकोरियम, 22 वेस्टर्न आरडी, लंदन” ब्रिटेन में रहने वाले राजस्थानियों एक खास उत्सव हो रहा है। यहाँ धोरों की धरती की शान साफा और राजस्थानी घाघरा अपने रंग बिखेरेंगे। शहरों से वे 26 जून को यहां पहुंचेंगे। शुद्ध देसी दाल-बाटी के स्वाद का चटखारा व महक से दिल और दिमाग मे तरावट आएगा। यह “जीमण” उत्सव रखा गया। दाल-बाटी चूरमे का आयोजन होगा लेकिन 56 पकवानों के साथ ही यह एक तरह का छप्पन भोग होगा। यलंदन के राजस्थानियों की जुबान पर अगला रविवार है-जीमण संडे। जीमण, ब्रिटेन में रहने वाले राजस्थानियों के लिए यूं तो अब खुशियों का सबसे बड़ा सालाना आयोजन बन गया है जिनके पास साफे हैं वे इन्हें तैयार कर रहे हैं। बीकानेर-जोधपुर से मंगवाए भी गए। घाघरा-ओढनी तैयार हो रही है। इसके साथ ही राजस्थानी बच्चे भी लोकगीत और नृत्य की तैयारी में जुटे हैं।
राजस्थान के बीकानेर, जयपुर, जोधपुर, बाड़मेर, उदयपुर, शेखावाटी आदि। इसके अलावा जीमण में जो भी पकवान बनेंगे उन्हें वे राजस्थानी शेफ या रेस्टोरेंट संचालक वॉलंटियर-ली बनाएंगे जिनके लंदन में रेस्टोरेंट हैं। राज्यपाल कलराज मिश्र ने आयोजन की जानकारी लेने के साथ ही अग्रिम शुभकामनाएं भेजी हैं। अभय दास महाराज का विशेष संकीर्तन भी इस बार खास होगा। इस बार विशेष उत्साह देखा जा रहा है।