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IMG 20211219 WA0222 तीन शिक्षाविदों का राष्ट्रीय स्तर पर शिमला में हुआ सम्मान Bikaner Local News Portal देश
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Thar पोस्ट, राजस्थान। कुफरी(शिमला) में अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ द्वारा आयोजित कार्यक्रम में प्रमुख धार्मिक गुरु एवं भगवत गीता मर्मज्ञ श्री ज्ञानानंद जी महाराज एवं मुख्यमंत्री हिमाचल प्रदेश जयराम ठाकुर ने रविवार को संयुक्त रूप से तीन शिक्षाविदों डॉ. बद्री प्रसाद पंचोली(अजमेर), प्रो कपिल कपूर(शिमला), श्रीमती रेणु दांडेकर(महाराष्ट्र) को “शिक्षा भूषण” पुरस्कार से सम्मानित किया, जिसके अन्तर्गत प्रत्येक पुरस्कार विजेता को 1 लाख रुपए, प्रशस्ति पत्र एवं स्मृति चिन्ह भेंट किया गया।अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ (एबीआरएसएम) 2015 से ऐसे प्रख्यात शिक्षाविदों को हर साल “शिक्षा भूषण” पुरस्कार से सम्मानित कर रहा है।ज्ञातव्य है कि अजमेर (राजस्थान) के डॉ बद्री प्रसाद पंचोली एक प्रशंसित शिक्षाविद्, कवि, नाटककार, पत्रकार, भाषा वैज्ञानिक और सामाजिक विचारक हैं। शिक्षा के क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए उन्हें विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों द्वारा सम्मानित किया गया है। प्रो. कपिल कपूर विश्व स्तर पर प्रशंसित शिक्षाविद हैं, और उनके शिक्षण कार्यों, प्रकाशनों और शोध ने उन्हें प्रख्यात लेखक और उत्कृष्ट शोधकर्ता बना दिया है। कई संस्थानों ने उन्हें राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया है। प्रो. कपूर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न समितियों के सदस्य भी हैं। श्रीमती रेणु दांडेकर लोकमान्य पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट की अध्यक्षा हैं, एक प्रख्यात लेखिका, सामाजिक कार्यकर्ता और विख्यात शिक्षिका हैं। श्रीमती दांडेकर को शिक्षा और सामाजिक कार्य के क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए कई संस्थानों द्वारा सम्मानित किया जा चुका है।

हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने पुरस्कार विजेताओं को बधाई देते हुए कहा कि अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ भारत का एक प्रमुख शिक्षक संगठन है जो भारत में शिक्षा के क्षेत्र में उत्थान और सुधार के लिए प्रमुखता से काम कर रहा है। एबीआरएसएम शिक्षा प्रणाली को सार्थक बनाने में निरंतर योगदान करता है और नीति निर्माण में सरकारों को महत्वपूर्ण सुझाव भी देता है। उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में उनके अनुकरणीय कार्य के लिए “शिक्षा भूषण” पुरस्कार प्राप्त करने वालों की सराहना की।
उन्होंने कहा कि वर्तमान युग में हर कोई शिक्षा के आधुनिकीकरण पर जोर दे रहा है लेकिन अपने अतीत से सीख नहीं ले रहा है। हमें अपने भविष्य के लिए एक मजबूत नींव बनाने के लिए अपने गौरव पूर्ण इतिहास से भी सीखने की जरूरत है।भगवद गीता पर अपने शोध के लिए प्रतिष्ठित श्री ज्ञानानंद जी महाराज ने उपस्थित शिक्षकों व समाज बंधुओं से अपने उद्बोधन में व्यक्तिगत जीवन में पवित्रता लाने पर जोर दिया और सभी को आध्यात्मिक और नैतिक विकास के लिए वर्तमान युग में जीने के लिए कहा। उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में उनके अनुकरणीय कार्य के लिए “शिक्षा भूषण” पुरस्कार प्राप्त करने वालों को साधुवाद देते हुए अपने कर्मपथ पर डटे रहने का आह्वान किया।

कार्यक्रम का शुभारंभ श्री ज्ञानानंद जी महाराज और मुख्य अतिथि श्री जयराम ठाकुर मुख्यमंत्री हिमाचल प्रदेश द्वारा पारंपरिक दीप प्रज्ज्वलित करके किया गया।इससे पहले अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के राष्ट्रीय संगठन मंत्री महेन्द्र कपूर ने अपने स्वागत भाषण में महासंघ की विभिन्न गतिविधियों और “शिक्षा भूषण” पुरस्कार के मुख्य उद्देश्य पर प्रकाश डाला। उन्होंने श्री ज्ञानानंद जी महाराज, मुख्य अतिथि जयराम ठाकुर व सभागार में उपस्थित शिक्षक कार्यकर्ताओं तथा गणमान्य नागरिकों का स्वागत किया।
प्रो. जे पी सिंघल, राष्ट्रीय अध्यक्ष, एबीआरएसएम ने संगठन की गतिविधियों और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा लाने में इसके मिशन पर अपना वक्तव्य प्रस्तुत किया। भारतीयों को अपनी सांस्कृतिक विरासत और गौरव से जोड़ने में संगठन अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।उन्होंने कहा कि शिक्षक प्रमुख व्यक्ति हैं जो समाज में समग्र परिवर्तन ला सकते हैं।
एबीआरएसएम के महासचिव शिवानंद सिंदनकेरा ने धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम का संचालन एबीआरएसएम के अतिरिक्त महामंत्री डॉ. एन. एल. गुप्ता ने किया।


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